भिलाई के भाजपा विधायक रिकेश सेन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में विधायक एक युवक की गर्दन पकड़कर उसे धमकाते हुए नजर आ रहे हैं। यह घटना उनके कार्यालय की बताई जा रही है।
नामकरण विवाद का मामला
घटना कुरूद गांव के नकटा तालाब के नामकरण को लेकर उपजे विवाद से जुड़ी है। विधायक ने अति उत्साह में तालाब का नाम बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका स्व. शारदा सिन्हा के नाम पर रखने की घोषणा कर दी थी। यह घोषणा ग्रामीणों को नागवार गुजरी, क्योंकि इस तालाब को पहले छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पंथी नृत्य कलाकार स्व. देवदास बंजारे के नाम पर रखा गया था।
घोषणा के बाद पूरे छत्तीसगढ़ में विधायक के इस फैसले के खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगे। बड़ी संख्या में ग्रामीण विधायक के कार्यालय पहुंचे और घेराव कर अपना विरोध जताया। ग्रामीणों ने मांग की कि तालाब का नाम छत्तीसगढ़ के कलाकार के नाम पर ही रखा जाना चाहिए।
विधायक और ग्रामीणों के बीच विवाद
विरोध प्रदर्शन के दौरान विधायक रिकेश सेन और ग्रामीणों के बीच heated बहस हो गई। इसी दौरान, विधायक ने एक युवक की गर्दन पकड़ ली। इस घटना ने मामला और तूल पकड़ लिया।
ग्रामीणों का कहना है कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहरों का नामकरण केवल राज्य के स्थानीय कलाकारों के नाम पर होना चाहिए। उन्होंने स्व. शारदा सिन्हा के प्रति सम्मान जताते हुए कहा कि वे बिहार की गायिका थीं और उनके नाम पर तालाब का नाम रखना उचित नहीं है।
विरोध के बाद बदला गया नाम
ग्रामीणों के दबाव और विरोध के चलते तालाब से शारदा सिन्हा का नाम हटा दिया गया। ग्रामीणों ने दोबारा से इसे स्व. देवदास बंजारे के नाम पर रखने की मांग की।
सत्ता के अहंकार का उदाहरण: कांग्रेस
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने इस घटना को लेकर भाजपा पर तीखा हमला किया। कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, “सत्ता का अहंकार देखिए। भाजपा विधायक ग्रामीणों की आवाज को दबाने के लिए उन्हें धमका रहे हैं। ग्रामीणों की मांग के बावजूद विधायक अपने फैसले पर अड़े हुए हैं।”
विधायक की सफाई: निर्णय पर कायम
विधायक रिकेश सेन ने सफाई देते हुए कहा कि उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि तालाब पहले से ही स्व. देवदास बंजारे के नाम पर था। हालांकि, वे अपने फैसले पर अडिग हैं और इसे भिलाई नगर निगम के एमआईसी में ले जाने की बात कह रहे हैं।
भाजपा का बचाव: कांग्रेस कर रही दुष्प्रचार
भाजपा नेता राजीव चक्रवर्ती ने विधायक का बचाव करते हुए कहा, “रिकेश सेन सुलझे हुए नेता हैं। कांग्रेस वीडियो को तोड़-मरोड़कर पेश कर दुष्प्रचार कर रही है। घटना के बाद दोनों पक्ष आपसी सहमति से बैठकर बात कर चुके हैं।”
निष्कर्ष
यह मामला स्थानीय और सांस्कृतिक अस्मिता से जुड़ा है, जिसमें जनप्रतिनिधि और जनता के बीच सीधा टकराव देखने को मिला। हालांकि, विरोध के बाद तालाब का नाम हटा दिया गया, लेकिन यह घटना राजनीति और सामाजिक ताने-बाने के बीच संतुलन बनाने की जरूरत को रेखांकित करती है।