इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियांतो इन दिनों भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं। इस दौरान दोनों देशों के बीच ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की डील का ऐलान होने की संभावना है। यह समझौता भारत को रणनीतिक रूप से दो बड़े लाभ देगा। एक तरफ, इंडोनेशिया के साथ रक्षा संबंध मजबूत कर भारत हिंद-प्रशांत महासागर में चीन की घेराबंदी को और सशक्त करेगा। दूसरी ओर, दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम आबादी वाले देश के साथ भारत की बढ़ती दोस्ती पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक झटका होगी।
चीन की चुनौती से निपटने की रणनीति
भारत, हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों से निपटने के लिए आसियान देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। इंडोनेशिया इस रणनीति में एक महत्वपूर्ण सहयोगी है। भारत की नीति है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बसे देशों के साथ रक्षा और व्यापारिक साझेदारी को बढ़ावा दिया जाए ताकि चीन के प्रभाव को सीमित किया जा सके। इसके अलावा, चीन अक्सर इन देशों को धमकाता रहा है। इसी कारण, फिलीपींस के बाद अब इंडोनेशिया भी भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की तैयारी कर रहा है।
भारत के साथ सहयोग में रुचि रखते अन्य देश
दक्षिण चीन सागर में चीन की लगातार घुसपैठ से आसियान देशों को अपनी सीमाओं की सुरक्षा पर पुनर्विचार करना पड़ा है। इन देशों की रक्षा तैयारियां अब तक कमजोर रही हैं, लेकिन चीनी आक्रामकता का सामना करने के लिए वे अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ा रहे हैं। फिलीपींस और इंडोनेशिया के अलावा कई अन्य देश भी भारत के साथ रक्षा समझौते करने में रुचि दिखा रहे हैं।
2018 में पीएम मोदी का इंडोनेशिया दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में इंडोनेशिया का आधिकारिक दौरा किया था, जिसके बाद दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में और मजबूती आई। उसी वर्ष, दोनों देशों ने रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता किया था। इसके तहत दोनों देशों की सेनाओं ने संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू किया। इसके अलावा, भारत ने अंतरिक्ष और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में भी इंडोनेशिया को सहयोग दिया है।
76वें गणतंत्र दिवस में विशेष अतिथि
भारत ने इस वर्ष 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबियांतो को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। वह तीन दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे हैं। इस दौरान ब्रह्मोस मिसाइल की डील को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। यह समझौता दोनों देशों के रक्षा संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।