रायपुर। नगरीय निकाय चुनाव को लेकर रायपुर में राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में टिकट वितरण को लेकर असंतोष की लहर है। पार्टी के कई वरिष्ठ और समर्पित कार्यकर्ता टिकट न मिलने से नाराज हैं, वहीं कुछ नेताओं ने खुलकर बगावत का ऐलान कर दिया है।
इसी बीच कांग्रेस नेता जितेंद्र बारले ने रायपुर ग्रामीण के पूर्व विधायक सत्यनारायण शर्मा के पुत्र पंकज शर्मा पर जातिवादी टिप्पणी करने का गंभीर आरोप लगाया है।
जितेंद्र बारले का आरोप है कि टिकट चयन समिति की बैठक के दौरान पंकज शर्मा ने अपमानजनक और जातिवादी टिप्पणी करते हुए कहा— “क्या नाली साफ करने वाला लड़का पार्षद पद का दावेदार होगा?”
बारले ने इस बयान को न केवल जातिवादी बल्कि पूरे समाज का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी सिर्फ उनका नहीं, बल्कि पूरे समाज का अपमान है, जिससे समाज में भारी आक्रोश है। उन्होंने आरोप लगाया कि जातिवादी मानसिकता और पैसों के लेन-देन के कारण उनका नाम टिकट पैनल से अंतिम समय में हटा दिया गया।
जितेंद्र बारले ने कहा कि वह पिछले 15 सालों से कांग्रेस पार्टी की सेवा कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने युवा कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारी के रूप में जिम्मेदारी निभाई और भाजपा सरकार के खिलाफ हर आंदोलन और धरना-प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
बारले ने कहा, “मैंने पार्टी के लिए हर संघर्ष किया, कई आंदोलनों में भाग लिया, सरकार के खिलाफ आवाज उठाई और इसी वजह से मेरे खिलाफ दर्जनों केस दर्ज हुए। लेकिन जब टिकट देने की बारी आई, तो जातिवाद और पूंजीवाद के चलते मुझे नजरअंदाज कर दिया गया।”
टिकट कटने से नाराज जितेंद्र बारले ने कांग्रेस के भीतर जातिवाद और पूंजीवाद के खिलाफ लड़ाई का ऐलान किया है। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है और वार्ड 50 पं. विद्याचरण शुक्ल से अपना प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। बारले ने सांकेतिक विरोध दर्ज कराते हुए हाथ में फावड़ा लेकर नाली साफ की और जनता से अपील की इस बार नाली साफ करने वाले लड़के को ही पार्षद बनाए!
बारले के इस आंदोलन और चुनाव प्रचार अभियान से वार्ड 50 में जनता की सहानुभूति मिल रही है। स्थानीय लोग कांग्रेस के रवैये से नाराज नजर आ रहे हैं, जिससे कांग्रेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
इस विवाद के चलते रायपुर की राजनीति में जबरदस्त हलचल मच गई है। जहां कांग्रेस आंतरिक कलह से जूझ रही है, वहीं विपक्ष भी इस मुद्दे को भुनाने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रहा है।अब देखना यह होगा कि कांग्रेस इस विवाद को शांत करने के लिए क्या कदम उठाती है और क्या टिकट बंटवारे का असंतोष चुनावी नतीजों को प्रभावित करेगा?