रायपुर। पूर्व मंत्री व वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि ईडी की कारवाई के बाद जितने बदहवास मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिख रहे हैं, उससे साफ समझ में आ रहा है कि इन तमाम घोटालों का किंगपिन और पॉलिटिकल मास्टर कौन है। इतने बदहवास तो मुख्यमंत्री भूपेश जी तब भी नहीं दिखे थे जब उनकी नजदीकी उप सचिव जेल गयी थी। यह बदहवासी से लगता है कि चोर की दाढ़ी में तिनका। जिस तरह से आरोपियों/अपराधियों/संदिग्धों के पक्ष में बकायदा कांग्रेस के प्रदेश और राष्ट्रीय कार्यालयों का उपयोग किया गया वह आश्चर्यजनक है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि ईडी ने यह कार्रवाई तब शुरू की जब छत्तीसगढ़ पुलिस ने सबसे पहले महादेव बुक एप की ऑनलाइन सट्टेबाजी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की हालांकि यह भी सबको मालूम है कि यह एफआईआर असल मुजरिमों को बचाने और कार्रवाई के नाम पर लिपा पोती के लिए दर्ज की गई थी इसके पहले विशाखापटनम पुलिस ने भी इस नेटवर्क के खिलाफ विस्तृत जांच की थी जिसमें इस गिरोह के काम करने के तौर तरीकों और हजारों करोड़ के बेनामी लेन-देन का भांडाफोड़ किया गया था। सभी एफआईआर से मनी लॉड्रिंग की बू आ रही थी और आईपीसी की धारा के तहत मनी लॉड्रिंग की जांच राज्य पुलिस नहीं कर सकती सिर्फ केन्द्रीय एजेंसी कर सकती है। तो भूपेश बघेल को आपत्ति क्यों? आंध्रप्रदेश में भी इसी मामले में कार्यवाही को लेकर वहां के मुख्यमंत्री ने कोई हो हल्ला नहीं मचाई।
अगर मुख्यमंत्री पाक-साफ होते तो न केवल ईडी की तमाम कारवाई का स्वागत करते, जांच में पूरा सहयोग करते बल्कि एजेंसी को धन्यवाद भी देते कि छत्तीसगढ़ को इस बेदर्दी से लूटने वालों पर कारवाई कर रही है केन्द्रीय एजेंसियां। जबकि उलटे ईडी के खिलाफ न केवल रायपुर और दिल्ली तक प्रेस आदि किया जा रहा है बल्कि ईडी के अधिकारियों के खिलाफ गाली-गलौज और हिंसा भी की जा रही है। जिस तरह कल भिलाई में अपना काम कर रहे अधिकारियों के खिलाफ आरोपियों के गुंडों ने हिंसा करने की कोशिश की, बल्कि गाड़ियों में तोड़-फोड़ भी किया इससे छत्तीसगढ़ बदनाम हो रहा है। कांग्रेस के नेताओं के संरक्षण में इस तरह की हिमाकत करने वालों पर कड़ी कारवाई मुख्यमंत्री को करनी चाहिए।
पूर्व मंत्री व वरिष्ठ विधायक श्री अग्रवाल ने कहा कि जो काम कांग्रेस की स्थानीय सरकार को करनी चाहिए थी, जिस ऑनलाइन सट्टे के खिलाफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अभियान चलाना चाहिए था, उसके उलट – जैसा कि ईडी के प्रेस रिलीज में आरोप है, शासन के उच्च स्तरीय लोग अपराधियों से वसूली में लगे थे और संरक्षण दे रहे थे। जब-जब सट्टेबाजों के खिलाफ आवाज उठायी जाती थी, तब-तब रसूखदारों के कमीशन का रेट बढ़ जाता था। ईडी की कार्यवाई छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश पुलिस दर्ज FIR की बुनियाद पर की जा रही है। और ईडी की अब तक की जाँच के मुताबिक सट्टे का यह नेटवर्क हजारो करोड़ रूपये का है।
सट्टेबाजों के हौसले इतने बुलंद थे कि बकायदा पूरे-पूरे पेज का विज्ञापन जारी कर ये अपना यूजर बढ़ा रहे थे, एक तरह से प्रदेश और शासन को मूंह चिढा रहे थे ये। प्रदेश के युवाओं की गाढ़ी कमाई विदेशों में भेजी जा रही थी और बजाय अपराधियों पर कारवाई के शासन-प्रशां से जुड़े लोग कमीशन खाने में व्यस्त थे।छत्तीसगढ़ के गरीब और भोले भाले युवाओं को ऑनलाइन जुए की लत लगाकर इस बेदर्दी से संस्थागत लूट की जितनी निंदा की जाय, वह कम है।
इस महीने की 10 तारीख को गुढ़ियारी पुलिस द्वारा दर्ज मामले में पता चला है कि किस तरह इस गिरोह के लोग भोलेभाले लोगों के आधार कार्ड और दस्तावेज हासिक करके फर्जी बैंक खाते खुलवा रहे थे और इन खातों के जरिये करोड़ों का अवैध लेन-देन किया जा रहा थाअनेक बेनामी खाते और चेकबुक का भी दुरुपयोग किया गया है।
गिरफ्तार ASI चंद्रभूषण वर्मा ने कहा :-
पूर्व मंत्री व वरिष्ठ विधायक श्री अग्रवाल ने कहा कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए ASI चंद्रभूषण वर्मा ने अपने बयानों में स्पष्ट किया है कि वह मुख्यमंत्री कार्यालय के शक्तिशाली अधिकारियों और महत्वपूर्ण राजनीतिज्ञों को महादेव एप्प के संचालकों से वसूले गए करोड़ों रुपए प्रोटेक्शन मनी के रूप में देता रहा है। ईडी ने अपने अभियोजन पत्र में यह भी लिखा कि एडिशनल एसपी रैंक के अफसरों को 65 लाख रुपए महीने ऐप संचालकों की तरफ से रिश्वत के रूप में दिए जा रहे थे। ऐसी स्थिति में इनसे उच्च स्तर के पुलिस अधिकारियों और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली लोगों को कितना पैसा मिलता होगा इसका अनुमान लगाना बहुत कठिन नहीं है।
ईडी ने इस मामले में सुपेला पुलिस द्वारा मई 2022 में मामला दर्ज किए जाने के बाद महादेव एप्प की जांच शुरु की है। ऐसे में मुख्यमंत्री का आरोप बेतुका और बौखलाहट से भरा है। दरअसल, कांग्रेस सरकार और उसकी पुलिस ने महादेव एप्प के सरगनाओं से और अधिक पैसा ऐंठने की नीयत से दिखावटी कार्रवाई शुरु की थी जिसमें स्थानीय स्तर पर सट्टेबाजी का काम देख रहे इस गिरोह के छोटे-मोटे गुर्गों को बलि का बकरा बनाकर असल चेहरों को बचाया जा सके।
वर्तमान में महादेव एप्प और इसके सहयोगी रेड्डी अन्ना के 50 लाख यूजर्स अनुमानित है। इन यूजर्स के माध्यम से इस गिरोह के सरगना करीब एक हजार करोड़ से भी अधिक धन विदेश भेज रहे है। इस काम में गिरोह ने तकरीबन 20 हजार कॉर्पोरेट, करंट, सेविंग बैंक खातों और तकरीबन 250 से ज्यादा शैल कंपनियों का इस्तेमाल करते आ रहा है। भूपेश बघेल ने इतने बड़े पैमाने पर हो रही इस लूट पर समय रहते एक्शन क्यों नहीं लिया। अगर उनमें जरा भी नैतिकता है तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
श्री अग्रवाल ने सट्टे के इस पूरे कारोबार में कांग्रेस और कांग्रेस नेताओं की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से सात सवाल किए है –
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महादेव एप के संदिग्धों को बचाने की कोशिश कांग्रेस क्यों कर रही है?
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महादेव एप, मुख्यमंत्री और दुर्ग-भिलाई से क्या संबंध है?
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महादेव एप की कार्यवाही से मुख्यमंत्री बौखला क्यों रहे हैं?
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कांग्रेस जहां-जहां है वहां सट्टा क्यों है?
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गली-गली, गावं-गांव में पुलिस के संरक्षण में और सरकार के देखरेख में सट्टेबाजी क्यों हो रही है?
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गृहमंत्री सिर्फ चुनिंदा सट्टेबाजों की सूची पुलिस को क्यों दे रहे है?
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डीजीपी द्वारा एसपी को सट्टेबाजों की दी गई सूची पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है?