साइबर ढगी से बचने के लिए लोग आरटीओ कार्यालय जाना जरूरी है लेकिन आरटीओ कार्यालय जाना मतलन पूरे दिन की छुट्टी लेनी पड़ती है इसलिए लोग आरटीओ कार्यालय जाकर चालान की कार्यवाही के बारे में जानकारी नहीं लेते ,जो बेहद आवश्यक है |
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने ट्रैफिक ई-चालान के नाम पर हो रही धोखाधड़ी से लोगों को अगाह किया है। मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि साइबर फ्रॉड फर्जी ई-चालान भेजकर लोगों से ठगी कर रहे हैं। अगर आपके पास भी कोई ट्रैफिक ई-चालान आता है तो सावधान हो जाएं! आप भी फर्जीवाड़े के शिकार हो सकते हैं। हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप फर्जी ई-चालान मैसेज को पहचान सकते हैं और ठगी के शिकार होने से बच सकते हैं।
फर्जी ट्रैफिक ई-चालान से कैसे हो रहा फर्जीवाड़ा?
जानकारों का कहना है कि साइबर फ्रॉड आम लोगों को फर्जी ई-चालान भेज रहे हैं। चलान भेजने के बाद वो उनको कॉल कर यातायात नियम के उल्लंधन करने को लेकर चलान भरने को कहते हैं। वो ट्रैफ़िक ई-चालान के भुगतान के लिए एक स्कैम लिंक भेजते हैं और उसपर क्लिक करने को बोलते हैं। फ्रॉड फर्जी ई-चालान को इस तरह भेज रहे हैं। “आपका चालान नंबर वाहन नंबर के लिए है… चालान राशि 500 रुपये है। ई-चालान के ऑनलाइन भुगतान के लिए https://echallanparivahan.in/ पर जाएं। आप आरटीओ कार्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं। चालान का निस्तारण, सादर, आरटीओ।”
एक बार जब आप ई-चालान का भुगतान करने के लिए इस भुगतान लिंक पर क्लिक करते हैं तो आपको ट्रैफिक ई-चालान का भुगतान पुलिस के बजाय साइबर अपराधियों को हो जाता है।
फर्जी ट्रैफिक ई-चालान घोटाले से कैसे बचें?
जालसाजों ने यातायात अधिकारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रारूप की सावधानीपूर्वक नकल की है। इसलिए, संदेश पहली नज़र में वास्तविक लग सकता है। हालांकि, यदि आप इसकी बारीकी से जांच करें, तो आप फर्जीवाड़े का आसानी से पता लगा सकते हैं। यह पता लगाने के लिए कि ई-चालान संदेश असली है या नकली, इन तीन चीजों को देखें:
सबसे पहले, अपना वाहन नंबर देखें। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) द्वारा जारी वाहन की नंबर प्लेट या स्मार्ट कार्ड (नीली किताब) का हवाला देकर वाहन नंबर आसानी से सत्यापित किया जा सकता है।
दूसरा, ई-चालान नंबर वैध है या नहीं. चालान नंबर को ई-चालान वेबसाइट- https://echallan.parivahan.gov.in/index/accused-challan पर लॉग इन करके सत्यापित किया जा सकता है।
तीसरा, फर्जी मैसेज में पेमेंट लिंक https://echallanparivahan.in है। घोटालेबाज ऐसे लिंक का उपयोग करते हैं जिनका बिल्कुल एक जैसा होता है, और एक साधारण नज़र से अंतर नज़र आ सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि सरकारी वेबसाइटों का डोमेन हमेशा ‘.gov.in’ होगा जैसे https://echallan.parivahan.gov.in/। इसलिए, केवल उन्हीं लिंक पर क्लिक करें जिन पर gov. डोमेन हो।