योग एक इंसान को योगासन, प्राणायाम, ध्यान, और आत्म-संयम के माध्यम से एक संतुलित और शांत जीवनशैली अपनाने में मदद करता है। योग एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए विकसित किया गया है जिसके लिए प्रतिदिन योगाभ्यास करना जरूरी है।
यह कहना हैद योग इंस्टिट्यूट की निदेशक गुरु माँ डॉ हँसा जयदेव योगेन्द्र का, जो 16 दिसम्बर को एक दिन के रायपुर प्रवास के दौरान 300 से अधिक अनुयाइयों को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने आगे कहा कि अपने कर्मों के प्रति, श्वास के प्रति, अपने विचारों और अपने शब्दों के प्रति सजगता रखना ही योग अभ्यास का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यह अभ्यास आपको जीवन में उन्नति की ओर लेकर जाएगा।
कर्मों के प्रति सजगता:
यहां सजगता का मतलब है कि आप जो कार्य कर रहे हैं, उसमें पूरी तरह से विनम्र और प्रशांत रहें। योग के अभ्यास से आप अपने कर्मों को माइंडफुलनेस के साथ करते हैं, जिससे आपका कार्य प्रभावी और सात्विक बनता है।
श्वास के प्रति सजगता:
योग श्वास और ध्यान के माध्यम से अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने में मदद करता है। योगासन और प्राणायाम से आप अपनी साँसों को नियंत्रित करना सीखते हैं, जिससे मानसिक चिंता कम होती है और आत्मा को शांति मिलती है।
विचारों के प्रति सजगता:
योग अपने विचारों को साकार रूप से देखने और समझने में सहायक होता है। ध्यान के माध्यम से, आप अपने मन को शांत करके बेहतर विचारों की ओर बढ़ सकते हैं।
शब्दों के प्रति सजगता:
योगी अपने शब्दों का उचित रूप से उपयोग करता है और दूसरों के साथ सहजता और समर्पण के साथ व्यवहार करता है। अच्छे विचार और शब्दों का सही उपयोग आपके आपको आगे बढ़ने में मदद करता है।
केंद्र संचालक मनजीत स्थापक ने बताया कि योग गुरु हँसा जी के मार्गदर्शन में प्रतिदिन 150 से अधिक साधक शंकर नगर में योग अभ्यास करके स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। द योग इंस्टिट्यूट की रायपुर शाखा 105 वर्ष पुरानी अपने गुरुओं की इस विरासत को शहर वसियों तक पहुँचाने में अथक प्रयासरत हैं।