यातायात रायपुर /
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायपुर श्री संतोष कुमार सिंह के निर्देशन पर यातायात रायपुर में पदस्थ अधिकारी/ कर्मचारियों के लिए एक दिवसीय कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सी.पी.आर.) प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यातायात रायपुर सभागार में आयोजित किया गया। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ. पंकज कुमार, डॉयल 108 द्वारा उपस्थित अधिकारी/कर्मचारियों को सड़क दुर्घटना के दौरान मौके पर ही घायल की जान बचाने के लिए किये जाने वाले प्राथमिंक उपचार तथा वर्तमान में बढ़ते हृदयघात (हार्ट अटैक) के बढ़ते प्रकरण को देखते हुए त्वरित कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सी.पी.आर.) प्राथमिंक उपचार के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गयी। इस दौरान उक्त कार्यशाला में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यातायात श्री ओमप्रकाश शर्मा, उप पुलिस अधीक्षक यातायात श्री गुरजीत सिंह एवं श्री सुशांतो बनर्जी, यंग इंडियन रायपुर से श्री अक्षय शर्मा एवं अन्य सहित बड़ी संख्या में यातायात रायपुर के अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहें।
प्रशिक्षण के दौरान डॉ0 पंकज कुमार द्वारा बताया गया कि सड़क दुर्घटना के दौरान दुर्घटना के बाद का आधा घण्टा पीड़ित व्यक्ति के लिए गोल्डन आवर रहता है। इस दौरान यदि किसी व्यक्ति द्वारा मौके पर ही पीड़ित व्यक्ति को तत्काल प्राथमिक उपचार कर दी जाये तो 80 प्रतिशत मामलों में घायलों की जान बचाई जा सकती है। इसके लिए कुछ मुख्य बातों का ध्यान में रखना आवश्यक है:-
01. रक्त स्त्राव को रोकना:- सड़क दुर्घटना के दौरान घायल व्यक्ति अत्यधिक रक्त स्त्राव होने के कारण जल्दी जान गंवा बैठता है ऐसी स्थिति में हमे चाहिए कि सर्वप्रथम रक्त स्त्राव को रोकने का उपाय किया जाय इसके लिए एम्बुलेंस आने तक चोट ग्रस्त स्थान को दबा कर रखा जाय ताकि अधिक रक्त स्त्राव न हो सके। यदि एम्बुलेंस आने में अधिक समय लग रहा है ऐसी स्थिति में कपड़े की रस्सी से चोट ग्रस्त स्थान से चार अंगुल पहले कस कर बांध दे ताकि रक्त स्त्राव न हो ध्यान रहें 30 मिनट बाद खोल कर चेक करना है कि रक्त स्त्राव बंद हुआ कि नही यदि नही हुआ है तो पुनः रस्सी कस कर बांध दे। ऐसा करने से घायल व्यक्ति की जान बचने का चांस अधिक रहता है।
02. हाथ-पैर या शरीर के किसी भाग के हड्डी का फ्रेक्चर होने पर बचाव के उपाय:- सड़क दुर्घटना के दौरान घायल का हाथ-पैर अथवा शरीर के कोई भाग का हड्डी फ्रैक्चर हो गया हो इस दौरान अपनाये जाने वाली सावधानियों को प्रेक्टिकल करके दिखाया गया।
03.कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सी.पी.आर.):- इसी प्रकार डॉ0 पंकज कुमार द्वारा बताया गया कि वर्तमान समय में स्वस्थ आदमी चलते-फिरते हृदयघात (हार्ट अटैक) से असमय काल के गाल में समा जा रहे है। ऐसी स्थिति में कुछ प्राथमिक उपचार करने से मरीज की जान बचाई जा सकती है। दिल का दौरा पड़ने पर पहले एक घण्टे को गोल्डन ऑवर माना गया है। इसी गोल्डन ऑवर में हम मरीज की जान बचा सकते है। कभी-कभी एंबुलेंस या मेडिकल सुविधा किसी कारण वश उपलब्ध नहीं होती है। ऐसे समय में पीसीआर किसी भी पीड़ित के लिए संजीवनी का काम कर सकता है।
दरअसल पीसीआर में हम सांस चलाने के काम और रक्त के बहाव को लगातार जारी रखने की कोशिश करते है। अगर कोई पीड़ित 3 से 5 मिनट तक सांस नहीं ले पा रहा है तो उसके ब्रेन सेल मृत होना शुरू हो जाते है। इस प्रक्रिया को दिल का दौरा पड़ने के पहले 10 मिनट में ही किया जाता है। इस प्रक्रिया में हाथ से इस तरह से छाती पर दबाव बनाया जाता है कि सीने की हड्डियों और रीढ़ की हड्डी के बीच दबे। ये तब तक किया जाता है जब तक चिकित्सकीय सुविधा न मिल जाय या फिर व्यक्ति जिंदा हो जाय। अगर किसी पीड़ित को 10 मिनट तक सांस नही आ रही हो और प्राथमिक उपचार के तहत हम उसे कृत्रिम सॉस न दे पाएं तो मरीज के बचने की संभावना बहुत कम हो जाती है। इस तरह से आप किसी ऐसे व्यक्ति की जान बचा सकते है जो दम घुटने, पानी में डूबने, दिल का दौरा पड़ने की वजह से अपनी धड़कने खो चुका है। इस दौरान सीपीआर देने वाले को भी कुछ सावधानी बरतनी पड़ती है ।