गुरुग्राम की पॉक्सो अदालत ने वरिष्ठ पत्रकार और एबीपी न्यूज़ की वाइस प्रेसिडेंट चित्रा त्रिपाठी की अग्रिम जमानत याचिका को एक बार फिर खारिज कर दिया है। कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी करने के आदेश दिए हैं, जिससे मामला और गंभीर मोड़ लेता दिखाई दे रहा है।
यह मामला 11 नवंबर को शुरू हुआ था, जब कोर्ट ने चित्रा त्रिपाठी को पेश होने का आदेश दिया था। हालांकि, उनके वकील ने उनकी गैरहाजिरी को सही ठहराते हुए यह तर्क दिया कि वे महाराष्ट्र चुनाव के दौरान अजीत पवार का इंटरव्यू कर रही थीं। कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए जमानत रद्द कर दी और गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
21 नवंबर को गिरफ्तारी से बचने के लिए चित्रा त्रिपाठी ने अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने फिर से खारिज कर दिया। इसके बावजूद, गुरुग्राम पुलिस ने अब तक चित्रा की गिरफ्तारी नहीं की है, जबकि वह विभिन्न मीडिया डिबेट्स में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।
यह स्थिति कानून के प्रभावशाली लोगों के प्रति रवैये और पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर रही है। क्या कानून सभी के लिए समान है या प्रभावशाली व्यक्तियों के लिए अलग मापदंड अपनाए जाते हैं? यह सवाल समाज और न्याय तंत्र के कामकाज पर गंभीर चर्चा को जन्म दे रहा है।
अब यह देखना होगा कि पुलिस कोर्ट के आदेश का पालन करती है या नहीं, और इस मामले से जुड़े अन्य कानूनी पहलुओं पर क्या कार्रवाई होती है। चित्रा त्रिपाठी का यह मामला न केवल मीडिया की निष्पक्षता, बल्कि कानून और न्याय व्यवस्था में समानता के मुद्दे पर भी गहरी चर्चा का कारण बनता जा रहा है।