वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की आज एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। इस बैठक में कश्मीर के धार्मिक प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक अपनी आपत्तियां और सुझाव समिति के सामने पेश करेंगे। वे सरकार द्वारा प्रस्तावित इस विधेयक पर अपनी चिंताओं को साझा करेंगे।
बैठक का मौजूदा कार्यक्रम
बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली इस समिति ने विपक्षी नेताओं की आपत्तियों के चलते विधेयक के मसौदे पर खंड-दर-खंड विचार-विमर्श को अगले सप्ताह तक के लिए टाल दिया है। अब समिति सोमवार को विधेयक पर विस्तार से चर्चा करेगी। इसके अलावा, शुक्रवार को समिति ‘लॉयर्स फॉर जस्टिस’ समूह के विचार भी सुनेगी।
जेपीसी में कौन-कौन सदस्य हैं?
जेपीसी में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं। इसका नेतृत्व यूपी से बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल कर रहे हैं। इन 31 सदस्यों में बीजेपी के 11, कांग्रेस के 4, टीएमसी और डीएमके के 2-2, और शिवसेना (UBT), शिवसेना (शिंदे), एनसीपी (शरद पवार), जेडीयू, एलजेपी-आर, टीडीपी, वाईएसआरसीपी, आप और एआईएमआईएम के 1-1 सदस्य शामिल हैं।
वक्फ संशोधन विधेयक पर विवाद क्यों?
नए वक्फ विधेयक में कई प्रावधान किए गए हैं, जिन पर विवाद हो रहा है:
- जमीन पर दावा: विधेयक के मुताबिक, जमीन पर दावा करने वाला व्यक्ति अब वक्फ ट्रिब्यूनल के साथ-साथ रेवेन्यू कोर्ट, सिविल कोर्ट या हाई कोर्ट में भी अपील कर सकेगा।
- वक्फ संपत्ति की परिभाषा: यदि किसी ने वक्फ को जमीन दान में नहीं दी है, तो भले ही उस पर मस्जिद बनी हो, वह वक्फ की संपत्ति नहीं मानी जाएगी।
- समावेशिता: नए प्रावधान के तहत वक्फ बोर्ड में अब दो महिलाएं और अन्य धर्मों के दो सदस्यों को शामिल करने की बात कही गई है।
इस विधेयक को लेकर विभिन्न समुदायों और राजनीतिक दलों की ओर से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। इसे लेकर समिति के सदस्यों के बीच गहन चर्चा और विचार-विमर्श जारी है.