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भारत में अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों के खिलाफ हेट स्पीच यानी नफरती भाषण दिए जाने के आंकड़ों में असाधारण उछाल आया है. इस तरह के भाषणों में एक साल में 74 फीसदी वृद्धि देखी गई है. एक रिसर्च सर्वे में यह खुलासा हुआ है.
वाशिंगटन स्थित ‘इंडिया हेट लैब’ रिसर्च ग्रुप ने सोमवार (10 फरवरी) को भारत में दिए जाने वाली हेट स्पीच का आंकड़ा पेश किया. इन आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में भारत में 1165 बार अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरती भाषण दिए गए. साल 2023 में यह आंकड़ा 668 था. यानी इनमें करीब 74% का उछाल आया है.
रिसर्च ग्रुप ने यह भी बताया है कि बीता साल भारत में लोकसभा चुनाव का साल था और पूरे साल के मुकाबले चुनाव की अवधि में सबसे ज्यादा हेट स्पीच दी गई. ग्रुप के मुताबिक, एक तिहाई हेट स्पीच केवल 16 मार्च को लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद से वोटिंग तक यानी 1 जून तक यानी ढाई महीने में दी गई.
80% हेट स्पीच के मामले भाजपा शासित राज्यों से
रिसर्च रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि पिछले साल दी गई कुल हेट स्पीच के 80% मामले केवल भाजपा और उसके सहयोगियों द्वारा शासित राज्यों से आए. रिपोर्ट में पीएम मोदी के उस बयान का भी उल्लेख है जिसमें उन्होंने मुस्लिमों की ओर इशारा करते हुए उन्हें घुसपैठिया कहा था. यह बयान पीएम मोदी नेअप्रैल में चुनाव प्रचार के दौरान दिया था.
मोदी-ट्रंप मुलाकात के ठीक पहले आई रिपोर्ट
यह रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है जब जल्द ही पीएम मोदी का अमेरिका दौरा होने वाला है और राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी बैठक भी होने वाली है. ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित कुछ मानवाधिकार समूह कई मौकों पर भारत सरकार को भारत में अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार के लिए दोषी ठहरा चुके हैं. ऐसे में यह रिसर्च रिपोर्ट मोदी और ट्रंप के बीच होने वाली बातचीत को कितना प्रभावित करती है, यह देखना दिलचस्प होगा.
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