रायपुर महादेव घाट पर खारून गंगा महा आरती को लेकर विवाद गहराया, आयोजकों ने किया स्पष्ट
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के ऐतिहासिक महादेव घाट पर हो रही माँ खारून गंगा महा आरती को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। तीन वर्षों से नियमित रूप से आयोजित हो रही इस आरती पर स्थानीय लोगों और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना द्वारा विरोध जताया गया है। विरोध के बीच आज 28 अप्रैल को माँ खारून गंगा महा आरती महादेव घाट जनसेवा समिति के सदस्यों ने एक पत्रकार वार्ता आयोजित कर अपनी बात विस्तार से रखी।
जिसमें आयोजन प्रमुख वीरेंद्र सिंह तोमर,मुख्य पुजारी आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री, ग्रीन आर्मी संस्थापक अमिताभ दुबे, रोहित तिरंगा, प्रिया सिंह सहित समिति के अन्य सदस्यगण उपस्थित रहे।
आपको बता दें कि विरोध के बाद मुख्य आयोजक वीरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि “चाहे मुझे जेल भेज दिया जाए या मेरी हत्या कर दी जाए, लेकिन माँ खारून गंगा मैया की आरती बंद नहीं होगी। यह हमारी आस्था और धर्म का सवाल है, जिसे कोई नहीं रोक सकता।” उन्होंने स्पष्ट किया कि महाआरती धार्मिक श्रद्धा और सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार का प्रतीक है, न कि किसी प्रकार का अवैध कार्य।
अमिताभ दुबे ने किया स्पष्ट
समिति के वरिष्ठ सदस्य अमिताभ दुबे ने विरोध के आरोपों पर विस्तार से जवाब देते हुए कहा कि भगवान की सेवा करना हर सनातनी का कर्तव्य है। माँ खारून गंगा महा आरती इसी भावना से आयोजित की जाती है। उन्होंने पाटों के द्वारा कब्जा और क्यूआर कोड के माध्यम से चंदा वसूली के आरोपों का खंडन करते हुए कहा, “पाटों का निर्माण केवल पूजन सामग्री को स्वच्छ रखने के लिए किया गया है। क्यूआर कोड से दान लेना पूर्णतः स्वेच्छिक है, इसमें किसी पर कोई दबाव नहीं डाला जाता। यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है और दानदाता की श्रद्धा पर आधारित है।”

अमिताभ दुबे ने कहा कि माँ खारून गंगा महाआरती रोकने का प्रयास करना सनातन धर्म के प्रचार को बाधित करने जैसा है। उन्होंने अपील की कि विरोध करने की बजाय सभी लोग मिलकर इस महाआरती को और भी भव्य बनाने का प्रयास करें।
आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा : “भगवान की आराधना पर रोक उचित नहीं
मुख्य पुजारी आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि भगवान की आराधना कोई भी कर सकता है।
“जो लोग माँ खारून गंगा महाआरती का विरोध कर रहे हैं, वे वास्तव में भगवान की आराधना का विरोध कर रहे हैं, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।”
उन्होंने कहा कि धर्म और आस्था किसी भी जाति या समुदाय की सीमाओं में नहीं बंधी होती, और माँ खारून गंगा मैया की आरती सभी के लिए खुली है।
बताया जा रहा है कि कुछ स्थानीय लोगों और संगठनों ने महाआरती में इस्तेमाल हो रहे स्थान और संसाधनों को लेकर सवाल उठाए हैं। आरती स्थल पर पाटों का निर्माण और दान के लिए लगाए गए क्यूआर कोड को लेकर आपत्ति जताई गई थी। विरोध करने वालों का आरोप था कि सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमण किया जा रहा है और चंदा वसूली हो रही है।
हालांकि आयोजकों ने इन सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए साफ किया कि आयोजन पूरी तरह से धार्मिक भावना से प्रेरित है और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि इसमें शामिल नहीं है।
रायपुर के महादेव घाट पर माँ खारून गंगा महा आरती को लेकर विवाद के बावजूद आयोजक अपने संकल्प पर अडिग हैं। वे इसे सनातन धर्म की सेवा और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान से जोड़ते हुए और भव्य बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं। अब देखना यह होगा कि इस धार्मिक आयोजन को लेकर जारी विवाद का क्या निष्कर्ष निकलता है।