केंद्र की अडानी परस्ती नीति के कारण बिजली के दाम बढ़े-कांग्रेस

केंद्र ने विदेशी कोयला अनिवार्य कर दिया जिससे बिजली उत्पादन लागत बढ़ी*रायपुर। सरकार के द्वारा बिजली के दाम में एक पैसे की भी बढ़ोतरी नही की गयी है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बिजली के दाम जनसुनवाई के बाद विद्युत विनियामक आयोग के अनुशंसा के बाद ही घटाया बढ़ाया जाता है।

वर्तमान में बिजली की कीमत में 49 पैसे का वीसीए (वेरिएबल कास्ट एडजस्टमेंट) लगाया है, जो बिजली निर्माण में लगने वाले खर्च के आधार पर घटता बढ़ता है।

छत्तीसगढ़ में कोयला के द्वारा बिजली उत्पादन किया जाता वह हमारे प्रदेश का कोयला है। मोदी ने अडानी को फायदा पहुंचाने के लिये देश के हर विद्युत कंपनी में यह अनिवार्य नियम बना दिया है कि 15 प्रतिशत तक विदेशी कोयला का उपयोग करना होगा।

राज्य के कोयले की कीमत 4 से 6 हजार रूपये प्रति टन है तथा विदेशी कोयला की कीमत 20 से 26 हजार प्रति टन हैं कोयले की कीमत बढ़ने के कारण विद्युत कंपनियो को वीसीए (वेरिएबल कास्ट एडजस्टमेंट) में बढ़ोतरी करनी पड़ी है मजबूरन छत्तीसगढ़ की विद्युत कंपनी ने 49 पैसे वीसी में बढ़ोतरी की है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार अडानी परस्ती नीति के कारण मोदी सरकार द्वारा विदेशी कोयला अनिवार्य किये जाने के कारण यह करने की नौबत आयी है जबकि देश में पर्याप्त मात्रा में कोयला है इसके बावजूद अडानी को फायदा पहुंचाने मोदी सरकार ने विदेशी कोयला की अनिवार्यता कर दी है। जिसका खामियाजा देश के, राज्य के उपभोक्ताओं को उठाना पड़ रहा है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि विद्युत उत्पादन में आवश्यक कंपोनेंट कोयला रेलवे माल भाड़ा और कोरिया पर ग्रीन टैक्स मोदी सरकार द्धारा बढ़ाए गए।

कोयले पर ग्रीन टैक्स लगभग 8 गुना बड़ा है रेलवे का माल भाड़ा 40 प्रतिशत बढ़ा है। विद्युत संयंत्रों में डीजल भी प्रमुख घटक होता है। डीजल पर सेंट्रल एक्साइज जो मोदी सरकार से पहले 3 रुपया 46 पैसा था, जिसे 10 गुना बढ़ाकर 31 रुपया 80 पैसा कर दिया गया था जिसे कांग्रेस के विरोध के बाद 21 रुपया 80 पैसा किया गया। विगत 11 महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल 46 प्रतिशत घटे हैं, लेकिन मोदी सरकार की मुनाफाखोरी के चलते, दाम नहीं घटाए गए। जिसके कारण विद्युत के निर्माण का लागत बढ़ गयी।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बिजली उत्पादन राज्य के अपने विद्युत संयत्रों तथा केन्द्र के संयत्रों से मिलता है। केन्द्र सरकार से उपक्रमों नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन, एन.एस.पी.सी.एल से मिलने वाली बिजली के दाम राज्य के अपने उत्पादक कंपनियों से अधिक है। अगस्त एवं सितंबर में ही छत्तीसगढ़ विद्युत वितरण कंपनी ने विद्युत में लागत की अधिकता के कारण कुल 549 करोड़ वी.सी.ए. का भुगतान किया था जिसमें 459 करोड़ केन्द्र की विद्युत कंपनी एन.टी.पी.सी. को करना पड़ा अर्थात् बिजली पर वीसीए 49 पैसे लगाने की मजबूरी केन्द्र के कारण है कोयला और डीजल के दाम बढ़ने से बिजली की लागत बढ़ गयी जिसका भार उपभोक्ताओं पर पड़ रही है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि तमाम व्यवधानों और मोदी सरकार की उपेक्षा के बावजूद भी भूपेश बघेल सरकार प्रदेश के 44 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को बिजली बिल हाफ योजना का लाभ दे रही है। कृषक जीवन ज्योति योजना के माध्यम से किसानों को मुफ्त बिजली देने की योजना भी जारी है।

सीमावर्ती सभी राज्यों से छत्तीसगढ़ में बिजली दर आज भी सबसे कम है। छत्तीसगढ़ में घरेलू बिजली की कीमत 5.13 रू. है, मध्यप्रदेश में 6.36 रू. है, महाराष्ट्र में 7.52 रू. है, आन्ध्रा में 5.66 रू. है तथा गुजरात में 7.11 रू. है ऐसे में भाजपा बिजली के दाम पर बयानबाजी कर घड़ियाली आंसू मत बहाये।

 

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