रायपुर, /पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में छत्तीसगढ़ मॉडल एक बार फिर छाया रहा। विभिन्न राज्यों से सहकारी बैंकों के प्रतिनिधियों ने विकास के लिए ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ को अनुकरणीय बताया। छत्तीसगढ़ अपेक्स बैंक के अध्यक्ष श्री बैजनाथ चन्द्राकर ने छत्तीसगढ़ में चलाई जा रही न्याय योजनाओं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की विस्तार से जानकारी दी। राष्ट्रीय ग्राहक परामर्श समिति की बैठक में 15 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
बैठक में श्री बैजनाथ चन्द्राकर ने ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ का जिक्र करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की जनहितैषी नीतियों से गांव का विकास, किसानों का विकास, खेतिहर मजदूरों का विकास, आदिवासियों, महिलाओं का विकास तथा अन्य कृषि संबंधी गतिविधियों (अलाइड) का लगातार विकास हुआ है। किसानों को राहत देने वाली नीतियों, कार्यक्रमो और योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन किया गया। राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गो-धन न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना एवं 65 प्रकार के वनोपजों का सर्मथन मूल्य पर खरीदी से गांवों में समृद्धि आई है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है।
छत्तीसगढ़ के किसानों को उनकी आवश्यकता के हिसाब से को-आपरेटिव्ह बैंको से ब्याज मुक्त कृषि ऋण दिया जा रहा है। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का पुनगर्ठन कर 725 नवीन प्राथमिक कृषि साख समिति बनाई गई हैं। इन समितियों को आधारभूत संसाधन उपलब्ध कराया गया। किसानों को सिंचाई पम्पों के लिए बिजली कनेक्शन, रियायती और निःशुल्क बिजली प्रदाय करने से फसल उत्पादन में छत्तीसगढ़ ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस साल छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर 23 लाख किसानों से 107.53 लाख मैट्रिक टन धान खरीदा गया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा को-आपरेटिव्ह बैंको के माध्यम से 21 हजार 946 करोड़ रूपए का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खाते में अन्तरण किया गया। छत्तीसगढ़ खुशहाली और समृद्धि के साथ आगे बढ़ रहा है।
बैठक में छत्तीसगढ़ अपेक्स बैंक के अध्यक्ष श्री चन्द्राकर ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में बैंकों की भूमिका और उसके महत्व पर चर्चा करते हुए ग्राहक सेवा को सर्वाेपरि बताया। राष्ट्रीय ग्राहक परामर्श समिति की बैठक में नाबार्ड सीजीएम मुम्बई, नाबार्ड सीजीएम पश्चिम बंगाल, बर्ड डायरेक्टर श्री मालिक जी एवं बैकर ग्रामीण संस्थान कोलकाता के डायरेक्टर श्रीमती अर्चना सिंह मौजूद थी।