रायपुर। छत्तीसगढ़ नेत्र चिकित्सालय के चीफ मेडिकल ऑफिसर तथा सीनियर नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अभिषेक मेहरा द्वारा मोतियाबिंद की दस हज़ार से अधिक सफल सर्जरी कर एक विशिष्ट उपलब्धि हासिल की। वर्ष 2015 से 2023 के दौरान यह दस हज़ार सर्जरी की गई। इनमें से 45 से 50 फीसदी मामले ऐसे हैं जिनमें अस्पताल द्वारा सर्जरी का आर्थिक भार वहन करते हुए निःशुल्क सर्जरी गई। यह जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ आई हॉस्पिटल के डॉ. अभिषेक मेहरा ने बताया कि छत्तीसगढ़ के सिर्फ शहरी नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों से भी मरीज इलाज के लिए उनके अस्पताल आते हैं।
डॉ. अभिषेक मेहरा ने बस्तर की नन्हीं बच्ची मुस्कान (परिवर्तित नाम ) के केस के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बच्ची के दोनों आंखों में मोतियाबिंद हो गया था। जिसके कारण मुस्कान स्कूल भी नहीं जा पा रही थी। घर वालों के पास उपचार के लिए पैसे नहीं थे। तब अस्पताल प्रबंधन ने मुस्कान के उज्जवल भविष्य को देखते हुए उसका उपचार निःशुल्क करने का फैसला लिया। आज मुस्कान दोनों आंखों से अच्छी तरह देख सकती है। मुस्कान के परिजन भी अस्पताल प्रबंधन को धन्यवाद देते नहीं थकते।
डॉ. अभिषेक मेहरा ने एक और उपलब्धि का जिक्र करते हुए बताया- “छत्तीसगढ़ आई हॉस्पिटल के 10-12 रिसर्च लेनसेट और ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी में प्रकाशित हो चुके हैं। इसी के साथ उनके अस्पताल में कई विदेशी चिकित्सकों को भी प्रशिक्षित किया जा चुका है। जो कि अस्पताल की एक अन्य उपलब्धि है।”
डॉ. अभिषेक मेहरा ने आगे बताया कि उन्होंने इंडस्ट्रीयल आई इंज्यूरी यानि औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने के दौरान आंखों में होने वाली समस्या को लेकर एक रिसर्च किया था। राजधानी के आस-पास औद्योगिक क्षेत्रों में काम करने वाले 500 लोगों को इस रिसर्च में शामिल किया गया था। इस दौरान कर देने वाली बात सामने आई जिसमें 450 लोगों द्वारा आंखों की सुरक्षा के लिए पहने जाने वाले चश्मे नहीं पहने थे। इससे भी ज्यादा हैरान कर देने वाली बात यह थी कि इनमें से 400 लोगों को इसकी जानकारी होने के बावजूद भी उन्होंने सुरक्षा के मापदंडों का पालन नहीं किया।
छत्तीसगढ़ आई हॉस्पिटल प्रदेश का एक ऐसा हॉस्पिटल है जहां मरीजों को उपचार कराने के लिए या जांच कराने के लिए किसी प्रकार के अपॉइंटमेंट की आवश्यकता नहीं है। इस अस्पताल में आने वाले 60-70 फीसदी मरीज ग्रामीण क्षेत्रों से आगे हैं। ऐसे में उनके समय और उनकी तकलीफ को देखते हुए ही अस्पताल प्रबंधन ने ऐसा फैसला लिया है। ताकि मरीज को उपचार के लिए अगले दिन परेशान न होना पड़े।
यह अस्पताल पिछले 44 सालों से मरीजों की दिन-रात सेवा कर रहा है। इस दौरान 5 लाख मरीजों की मोतियाबिंद के अलावा अन्य सर्जरी की गई है। वहीं 40 लाख से अधिक मरीजों को अस्पताल में बेहतर उपचार मिला है।