रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद अरुण साव ने झीरम घाटी मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुए कहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अब तो झीरम मामले में राजनीति छोड़कर अपनी जेब से वे सबूत निकालकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सौंप दें, जिन्हें वे मुख्यमंत्री रहते हुए पूरे कार्यकाल में अपनी जेब में छिपाए रहे। एक मुख्यमंत्री को इतना सामान्य ज्ञान तो होना ही चाहिए कि किसी अपराध के साक्ष्य छुपाना गंभीर अपराध होता है। भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री रहते हुए यह अपराध किया है। प्राकृतिक न्याय की अपेक्षा यही हो सकती है कि झीरम के सबूत छिपाने का अपराध करने वाले को भी जांच और पूछताछ के दायरे में होना चाहिए।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद अरुण साव ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए भूपेश बघेल ने स्वयं यह कबूल किया है कि झीरम के सबूत उनके कुर्ते की जेब में हैं। तब 5 साल मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने यह सबूत जांच एजेंसी के सुपुर्द क्यों नहीं किए? भाजपा आरंभ से स्पष्ट तौर पर यह मत प्रकट करती रही है कि झीरम मामले में कांग्रेस का चरित्र संदिग्ध है। कांग्रेस झीरम पर राजनीति कर रही है। भूपेश बघेल को जनता को यह भी बताना चाहिए कि झीरम हमले के चश्मदीद उनके कैबिनेट मंत्री ने क्यों इस मामले में न तो न्यायिक जांच आयोग के सम्मुख गवाही दी और न ही जांच एजेंसी को कोई सहयोग दिया। आखिर कांग्रेस और उसकी सरकार ने झीरम का सच सामने क्यों नहीं आने दिया, इसका जवाब छत्तीसगढ़ की जनता मांग रही है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि झीरम कांड के तथ्यों के मामले में कांग्रेस की रहस्यमयी चुप्पी और राजनीतिक बयानबाजी में तत्परता इसका प्रमाण है कि कांग्रेस ही इस मामले में संदिग्ध है। कांग्रेस ने झीरम मामले का राजनीतिकरण किया। सरकार चलाते हुए 5 साल तक साक्ष्य छुपाए और अंत में झीरम के दो शहीदों की विधवाओं को विधायक रहते हुए टिकट से वंचित किया। कांग्रेस कभी झीरम के शहीदों के परिवार को न्याय नहीं मिलने देना चाहती।