रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले 5 वर्षों में भरोसा के नाम पर जो छद्म जाल बुना था आज वह जाल तार-तार हो चुका है। मुख्यमंत्री रहते हुए 5 साल में अपने एक लोकसभा क्षेत्र के चंद कार्यकर्ताओं के बीच ही भरोसा कायम नहीं कर पाए, जबकि “भूपेश है तो भरोसा है” की ब्रांडिंग के नाम पर करोड़ों रुपए फूंक दिए।
भाजपा प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कहा कि प्रत्याशी घोषित होने के बाद भूपेश बघेल सोमवार को पहली बार कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे तो कार्यकर्ताओं ने उन्हे आइना दिखाना शुरू कर दिया। ग्राम खुटेरी में आयोजित ग्रामीण ब्लॉक कांग्रेस के कार्यकर्ता सम्मेलन में जिला पंचायत सदस्य रह चुके सुरेंद्र वैष्णव ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ जमकर भड़ास निकालते हुए उन्हें “बाहरी प्रत्याशी“ बताकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। यही नहीं कांग्रेस शासनकाल में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का भी गंभीर आरोप लगाया। इस दौरान वे बार-बार स्वयं को क्षमा कर देने और पार्टी से निष्कासित कर देने की बात भी कहते रहे। उन्होंने कहा कि 5 वर्षों तक किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री रहने के बाद एक वरिष्ठ नेता की इतनी छवि तो बन ही जाती है कि उन्हें प्रदेश में किसी भी जगह से लोकसभा या विधानसभा चुनाव लडने पर उस क्षेत्र के कार्यकर्ता अपना सौभाग्य समझते हैं लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अपने कार्यकर्ताओं के बीच यह छवि बनाने में पूरी तरह नाकामयाब रहे हैं। उनके मूल निवास और विधानसभा क्षेत्र से महज 40 किमी दूर के कार्यकर्ताओं के बीच भी उनका भरोसा कायम नहीं रहा तो यह उनके लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात है।
भाजपा प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कहा कि उल्लेखनीय है की भूपेश बघेल मुख्यमंत्री रहने से पूर्व करीब 5 वर्ष तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुखिया रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए एक नेता प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रिय हो जाता है। जबकि भूपेश को इससे बढ़कर 5 साल तक मुख्यमंत्री बनकर जनता की सेवा करने और कार्यकर्ताओं की सहायता करने का भरपूर अवसर मिला लेकिन वे इस दौरान घपले घोटाले करके अपना और अपने दिल्ली के आकाओं की झोली भरते रहे। भूपेश दिल्ली के लिए एटीएम मशीन तो बन गए लेकिन अपने दरी चादर उठाने वाले कार्यकर्ताओं की लगातार उपेक्षा करते रहे।
भाजपा प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसे राजनीतिक जीवन का क्या फायदा जिसमे जमीनी कार्यकर्ता भी आपको अपना नेता स्वीकार नहीं कर पाए। स्पष्ट है जो नेता अपने कार्यकर्ताओं का नही हो पाया वो आम जनता का कैसे होगा। जनता ने विधानसभा के परिणाम में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया अब लोकसभा में कार्यकर्ता उन्हें बाहर का रास्ता दिखाएंगे।