रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के खिलाफ दायर याचिकाओं को रद्द कर दिया हो और याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना भी ठोका है, तब प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ईवीएम को लेकर प्रलाप करके अपनी हताशा का प्रदर्शन करने पर उतारू हो गए हैं। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि इसी ईवीएम से निकले जनादेश से कभी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनने वाले बघेल आज ईवीएम पर उंगली उठाकर दरअसल अभी से अपनी तयशुदा हो चुकी हार के कारण और बहाने ढूँढ़ने में लग गए हैं।
भाजपा प्रदेश महामंत्री श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस राजनीतिक रूप से इतनी दिवालिया हो चुकी है कि एक ओर जहाँ प्रदेश अध्यक्ष तक को भ्रष्टाचार व कन्या छात्रावास की सरकारी जमीन हथियाकर कांग्रेस कार्यालय और दुकान बनाकर अपने चहेतों को औने-पौने दाम पर बेचने के आरोपों से घिरे अपनी पार्टी के एक पूर्व मंत्री और विधायक से मात खानी पड़ गई! वहीं दूसरी तरफ खुद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को राजनांदगाँव से अपनी उम्मीदवारी से उपजे पार्टी कार्यकर्ताओं के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसे हालात देखकर बघेल अपनी हार मान चुके हैं और अब मानसिक दबाव में हैं। जिस प्रकार राजनांदगांव में प्रत्याशी घोषित होने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया, किसी ने भरे मंच पर बघेल को खरी-खोटी सुनाई तो किसी ने उनके बतौर प्रत्याशी चयन को गलत ठहराते हुए किसी और को प्रत्याशी बनाने की मांग तक कर दी, उसके चलते अब ईवीएम के बारे में बातें करना बघेल की बौखलाहट को बता रही है।
भाजपा प्रदेश महामंत्री श्री श्रीवास्तव ने कहा कि भूपेश बघेल के खिलाफ कांग्रेस में जैसा आक्रोश परिलक्षित हुआ है, ऐसे में कांग्रेस से बड़ी संख्या में बागी इस बार नामांकन दाखिल करने वाले थे। कोई भी बघेल की उम्मीदवारी को राजनांदगाँव में बर्दाश्त नहीं कर रहा है। इसीलिए बघेल ने यह शिगूफा छोड़ दिया है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर का सामना कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के बचाव से किनारा कर चुके कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के रवैए ने भी बघेल को उनकी राजनीतिक सच्चाई का आईना दिखा दिया है कि 10, जनपथ के लिए छत्तीसगढ़ को एटीएम बनाकर येन-केन-प्रकारेण कांग्रेसियों की तिजोरी भरने में महारत दिखाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बघेल केंद्रीय नेतृत्व की बेरुखी के अब अपनी हार के सच का सामना कर रहे हैं।