रायपुर। डॉक्टर के लिखे को मेडिकल वाला पढ़ लेता है लेकिन मेरे भोले बाबा वह पढ़ लेता है जो विधाता ने लिखा है। जब हम भोले बाबा को जल चढ़ाते है तो बाबा हाथ पकड़कर देख लेते हैं कि तुम्हें कोई तकलीफ तो नहीं है। इस मानव शरीर के चार गुरु हैं माँ, पिता, शिक्षक व सतगुरु, इनमें सबसे पहले पूजी जाती हैं माँ लेकिन इस समय उल्टा चल रहा है। पहले सतगुरु को पूज रहे है और फिर माँ का सत्कार कर रहे है। माँ अपने बेटों से कभी भेदभाव नहीं करती है। शंकर जी के पूजन करने के लिए कोई सामग्री की जरुरत नहीं पड़ती है। मानव जीवन का शरीर मिल जाए और मानव का शरीर मिलकर साथ में भगवान शिव की भक्ति हो जाए तो यह बड़ा है। बोले बाबा को सरल, सहज समझ लेना लेकिन अनाड़ी मत समझना। निंदा आपको डिग्री से नहीं उन्नति से मिलती है। भगवान का भजन 1 मिनट भी नहीं कर सकते. तो चुल्लू भर पानी में डूब मरो। मोबाइल तुम चला तो अच्छे से लेते हो लेकिन तुम से ज्यादा तुम्हें बच्चों को उसके पसंद के बारे में पता होता है। शिवलिंग का जलाधार जहां से गिरता हैं वहां पर हथेली लाकर मांगने पर हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। लोग कहते हैं कलयुग चल रहा है में कहता हूं शिवयुग चल रहा है। अगर कोई प्राणी मर रहा है और घर में गंगा जल नहीं है तो भगवान शिवजी को चढ़ा हुआ जल पीला दोगे तो वह गंगा जल से कम नहीं है। कथा समापन के दौरान गणेश जी और रिद्धि – सिद्धी का विवाह संपन्न हुआ। इस देश में अगर सबसे ज्यादा निंदा किसी की होती हैं तो हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कथा वाचक प्रदीप मिश्रा की होती हैं. जो इस देश के लोगों को जगाने का काम कर रहे है। रविवार को कथा का समय सुबह 8 बजे से 11 बजे होगा और आस्था चैनल पर दोपहर 2 बजे से शाम को 5 बजे तक प्रसारण होगा। ओमकारेश्वर के सोलहापुर में स्थित नर्मदा जी घाट में 9 से 15 जून तक कथा होगी, इसके बाद 18 जून से छत्तीसगढ़ के गंडई में कथा प्रारंभ होगी। शनिवार को कथा श्रवण करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधायक गजेंद्र यादव व दीनबंधु ठाकुर पहुंचे हुए थे। अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने अमलेश्वर में चल रहे शिवमहापुराण कथा के समर्पण विषय पर बोलते हुए छठवें दिन छत्तीसगढ़ पुलिस की सराहना करते हुए लोगों से हेलमेट और सीट बेल्ट लगने की अपील की।
लोगों के श्रद्धा को सराहा पूर्व सीएम बघेल ने
कथा श्रवण करने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पाटन क्षेत्र के अमलेश्वर नगर पालिका में यह आयोजन हो रहा है और इस क्षेत्र के सेवक होने के नाते मैं कथा वाचक प्रदीप मिश्रा का स्वागत करता हूं। नवतपा चल रहा है और सूर्यदेव पूरा कोप बरसा रहे हैं. कई राज्यों में तापमान 52 डिग्री तक चला गया है और यहां भी 47 से कम नहीं है लेकिन इतने तपिश के बाद भी हजारों की तदाद में रोजाना शिव भक्तों का आगमन हो रहा है इससे प्रतीत होता है कि कोई भी मौसम हो भक्त को भगवान के पास जाने से कोई रोक नहीं सकता। आपकी अटूट श्रद्धा को नमन करता हूँ। उन्होंने कहा की इसके पहले गुढिय़ारी में प्रदीप मिश्रा जी से मुलाकात किया था. आज खुशी की बात है मेरे क्षेत्र में आयोजक पवन खंडेलवाल, विशाल खंडेलवाल, मोनू साहू व विशेष सहयोगी बसंत अग्रवाल ने आयोजन किया यह खुशी की बात है। सातवें चरण का आज मतदान हो रहा है और मैंने अयोजकों से कहा था कि प्रारंभ में नहीं आ सकता लेकिन एक दिन जरुर आऊंगा।
प्रदीप मिश्रा ने श्रद्धालुओं से कहा कि मानव जीवन का शरीर मिल जाए और मानव का शरीर मिलकर साथ में भगवान शिव की भक्ति हो जाए तो यह बड़ा कठिन है। हम कहीं पर भी जाते हैं तो दो – चार जोड़ी कपड़े लेकर जाते है जहां हम अपने शरीर को ठीक ठाक कर सकें, लेकिन शिव महापुरण की कथा कहती है कि अपने पूरे जीवन में कोई चार लोगों का संग ऐसा कर लोग जो आपका मार्गदर्शन करता रहे और जीवन को ठीक – ठाक चलाता रहे इसमें सबसे श्रेष्ठ हैं माता-पिता, अगर माता – पिता का मार्गदर्शन हमारी जिंदगी में है तो यह निश्चित मानकर चलो कि तुम्हारा कभी गलत नहीं होगा। इस मानव शरीर का प्रथम गुरु है माँ, दूसरा पिता, तीसरा शिक्षक और चौथा सतगुरु जिसका नंबर आखिरी में आता है जिससे हम गुरुमंत्र लेते हैं. पर अभी जो वर्तमान की स्थिति देखी जा रही है इस समय चौथे नंबर का गुरु है पहले और पहले को चौथा नंबर पर लेकर आ गए हैं. यह श्रेष्ठता नहीं है। आज के जमाने में कोई गुरु को लड्डू – पेड़ा खिला रहा है लेकिन घर में पहले नंबर और दूसरे नंबर माता और पिता का आदर नहीं कर रहे है। लेकिन शिवमहापुराण की कथा में माता- पिता को आदर करने को बताया गया है।
शंकर जी परिक्रमा कभी भी पूरी नहीं की जाती
पंडित मिश्रा ने कहा कि गणेश जी अपनी बुद्धि से माता-पिता के चक्कर लगाकर प्रथम पूज्यनीय कहलाते हैं लेकिन कीर्तिक जी ने पूरे पृथ्वी की परिक्रमा की है. उसे कुछ नहीं मिलता है तब माता पार्वती कीर्तिक को दुखी देखकर शिव जी कहने लगती हैं. आप का न्याय सही नहीं हैं. और भगवान शंकर से वरदान मांगती हैं कि कीर्तिक को भी प्रथम पूज्यनीय का अधिकार मिलना चाहिए। माँ पार्वती ने कहा कि घर के अंदर पूजन, पाठ या शुभ कार्य अगर हो रहा है तो उस समय प्रथम गिनती में गणेश को गिना जाएगा लेकिन उस समय जो कलश के ऊपर श्रीफल रखा जाएगा वह भी प्रथम स्थान माना जाएगा और वह स्थान कार्तिके का होगा।
शंकर जी की पूरी परिक्रमा क्यों नहीं होती प्रश्न आता है, आधी परिक्रमा कर वापिस क्यों लौट आते है, कारण क्या है इसको सबमझना जरुर है। माता पार्वती ने भगवान शंकर से वचन मांाग की आज के बाद आपकी कभी भी पूरी परिक्रमा नहीं होगी, सभी देतवाओं की पूर्ण प्रक्रिया होती है लेकिन शंकर जी की नहीं।
अभिप्राय केवल एक माँ जो अपने बच्चों को रोता हुआ नहीं देखना चाहती है। चार गुरु का आर्शीवाद होना बहुत जरुरी हैं, लेकिन सबसे पहले आशीर्वाद की जरुरत है माता-पिता का। पार्वती के कहने पर ही कार्तिक ने ताड़का सुर का संहार किया. जो सबसे अलग असुर था। रावण को मारने के लिए एक रत्ती भर नहीं सोचना पड़ा. कंस पर विचार नहीं किया गया कैसे मारा जाए लेकिन ताड़का सुर को मारने के लिए माता पार्वती और शिव ने बहुत विचार और विमर्श किया क्योंकि ताड़का सुर शिव के भक्त थे और जो शिव का भक्त होता है उसके हृदय में शिव रहते हैं तो भगवान शिव और माता पार्वती कैसे प्रहार कर मारती। इसी तरह हम अगर अच्छे कर्म कर रोजाना भोलेनाथ के मंदिर जाएंंगे और एक लोटा जल चढ़ाएंगे तो उस व्यक्ति का पाप वहां आधा समाप्त हो जाता है।
पाप को रखने की नहीं होती है कोई पेटी
कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कपड़ा रखने की पेटी होती है, मंदिर में दान रखने की पेटी होती है, सामान रखने की पेटी होती है लेकिन पाप को रखने के लिए कोई पेटी नहीं होती है। बस इतना जरुर है कि मनुष्य से प्रतिदिन पाप जरुर होता है। ऐसा कोई संसार में जन्म नहीं लिया है जिससे पाप न हो। बिना सोचे समझे किए गए पाप को महादेव स्वीकार कर लेते है। प्रत्येक मनुष्य से चार स्थान पर पाप होता है। पहला झाडू लगाते समय, दूसरा आग जलाते समय, तीसरा पानी, कपड़ा, बर्तन व स्न्नान करते समय और चौथा चलकर कहीं जा रहे है उस दौरान छोटे-छोटे जीव मर जाते है और दुनिया का कोई भी व्यक्ति यह कह दे कि मैं पापी नहीं हूं यह हो ही नहीं सकता। लेकिन शिव महापुराण, श्रीमद् भागवत कथा सुनने जाते हैं और इस दौरान अगर झुकर कर उन्हें प्रणाम करते हैं तो हमारा पाप धूल जाता है। अगर इन पापों को समाप्त करना है तो हमारे पास एक और स्थान है वह है शिवालय, देवालय और कथा सुनना। हमारा पाप धीरे-धीरे समाप्त होता है पर होता जरुर है। आस्था चैनल के कैमरे के लैंस में इतना पावर नहीं है कि आखिरी तक बैठे व्यक्ति वह कैच कर ले.
सबसे ज्यादा निंदा मोदी व प्रदीप मिश्रा की होती है
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि प्रसंन्नता आपको आपके योग्यता से मिल सकता है पर निंदा आपको डिग्री से नहीं उन्नति से मिलती है। जैसे-जैसे तुम उन्नति की सीढ़ी चढ़ते जाओगे लोग तुम्हें उसी समय से तोडऩा व ताना मारना प्रारंभ कर देते हैं ताकि आप आगे की सीढ़ी चढ़ नहीं पाओ। जब भी शंकर जी के मंदिर जाओ तो उनसे यह प्रार्थना करना कि मुझे निंदा सुनने की एनर्जी और बल देना ताकि मैं यह निंदा सुन सकूं क्योंकि निंदा हमें बल प्रदान करती है। नेताओं में सबसे ज्यादा निंदा किसी की होती है तो वह हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कथाकारों में प्रदीप मिश्रा की होती है। जो संपूर्ण भारत को जोडऩे का काम कर रहे हैं. इसलिए कई लोग हमें ताने और गाली देते है।
मोबाइल से फोटो हो जाएगी डिलीट पर….
कथा श्रवण करने आए श्रद्धालुओं से कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कथा में आकर हम फोटो खिंचते है और कई लोग मुझसे कहते हैं गुरूजी तुम नहीं खिंचते हो, उनसे कहा हम भी खींचते और तुम अपनी फोटो खिचते तो हम शंकर की खींचते हैं. सेल्फी तुम भी ले रहे हो हम भी खींचते हैं, पर अंतर सिर्फ यह है कि तुम्हारे मोबाइल फोन के मेमोरी से वह फोटो डिलीट हो सकती है लेकिन मेरे दिल के मेमोरी में बसे भोलेनाथ कभी डिलीट नहीं हो सकते। इसलिए भगवान शंकर को दिल में बसाकर रखो।
चुल्लू भर पानी में डूब मरो
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि भरोसा और विश्वास अगर पक्का है तो शिव तुम्हें जरुर मिलेंगे क्योंकि एक पत्ता भी उसके बगैर नहीं हिल सकता है, बस उसका भजन आपके मन में होना चाहिए। शास्त्र कहता है 24 घंटे भजन करो, या फिर 12 घंटे करो, यह नहीं हो सकता तो 6 घंटे करो, नहीं तो 3 घंटे करो, डेढ़ घंटे करो, एक घंटा करो, आधा घंटा करो, 15 मिनट करो, 5 मिनट करो यह भी नहीं हो सकता तो 1 मिनट तो करो लेकिन यह भी नहीं हो सकता तो चुल्लू भर पानी में डूब मरो और अमलेश्वर की पावन धरा में बह रही है जोरदार नदी। 21 हजार 607 सांसें हमसे प्रतिदिन निकली है अगर भजन नहीं कर सकते तो यह सब बेकार है।
छत्तीसगढ़ के लोग कभी झूठ नहीं बोलते
श्रद्धालुओं से प्रदीप मिश्रा ने एक सवाल किया जिसके जवाब में वहां मौजूद सभी लोगों ने एक स्वर में हाँ में जवाब दिया। इसके बाद उन्होंने कहा कि एक बात तो धान के कटोरे की माननी पड़ेगी कि छत्तीसगढ़ के लोग कभी भी झूठ नहीं बोलते है। यहां जितने भी श्रद्धालु बैठे हैं उनमें अधिकांश ओरिजनल हैं. जो लूटता नहीं है और व्यवस्था की बात भी नहीं करता है। गरीबी में अपना जीवन यापन कर लेगा लेकिन कभी भी किसी को गाली नहीं देगा। डुप्लीकेट छत्तीसगढिय़ा की बात नहीं कह रहा हूं। ऐसे बहुत से लोग है जो इन्हें दबाने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन वे उन्हें कभी भी दबा नहीं पाएंगे। वे किसी को दुख नहीं देते हैं और भक्ति में डूबे रहते हैं.