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छत्तीसगढ़ में प्राइवेट स्कूल अब नहीं वसूल सकेंगे मनमानी फीस, बोर्ड लगाकर देनी होगी ये सारी जानकारी, बाल अधिकार संरक्षण आयोग का सख्त आदेश जारी

छत्तीसगढ़ में प्राइवेट स्कूल अब नहीं वसूल सकेंगे मनमानी फीस, बोर्ड लगाकर देनी होगी ये सारी जानकारी, बाल अधिकार संरक्षण आयोग का सख्त आदेश जारी

 

रायपुर \ छत्तीसगढ़ में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से पालक हर साल परेशान रहते हैं। प्राइवेट स्कूलों द्वारा कई तरीकों से बच्चों से मनमानी फीस वसूली जाती है। इसको लेकर पहले भी कई आदेश दिए जा चुके हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। मनमानी फीस वसूली की शिकायतों के आने के बाद अब बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सख्ती दिखाई है।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग (Bal Adhikar Sanrakshan Aayog) ने प्राइवेट स्कूलों को लेकर सख्त आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत अब प्राइवेट स्कूलों में की जा रही फीस वसूली की मनमानी नहीं चल सकेगी। छत्तीसगढ़ में प्राइवेट स्कूलों को 4 गुना 8 फीट के बोर्ड लगाकर तय फीस की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी, साथ ही स्कूल को अपनी वेबसाइट पर भी इसे प्रदर्शित करना होगा। छत्तीसगढ़ अशासकीय फीस विनियमन और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार फीस निर्धारित होगी।

स्कूलों में तय की गई फीस की सूची का ब्योरा आयोग को देना होगा और तय मानक के अनुसार ही फीस की बढ़ोतरी करनी होगी। आयोग ने सभी कलेक्टरों और जिला फीस समितियों को यह फरमान जारी किया है। आयोग ने पत्र में लिखा है कि तय की गई कक्षावार फीस में प्रबंधन द्वारा मनमाने तरीके से छूट देने और अन्य नाम से फीस लेने का अधिकार नहीं होगा। एडमिशन या बच्चों के शाला ट्रांसफर की प्रक्रिया में भी छात्रों और पालकों से मनमानी फीस वसूली न की जाए, इसका भी ध्यान रखा जाए।

आयोग की ओर से जारी किए गए पत्र में लिखा है कि स्कूल फीस के अलावा कई नाम से अतिरिक्त कैपिटेशन फीस पालकों से वसूली जा रही है। यह आरटीई अधिनियम की धारा 13 में 10 गुना जुर्माने से दंडनीय अपराध है। फीस विनियमन अधिनियम की धारा 12 में विद्यालय की प्रबंधन समिति के सदस्यों पर भी चार गुना जुर्माने से दंडनीय है। आयोग का कहना है कि संज्ञान में यह आया है कि छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूलों में फीस विनियमन कानून के अनुसार विद्यालय फीस समिति में जागरूक और निष्पक्ष अभिभावकों को शामिल नहीं करने, आय-व्यय से संबंधित जानकारी सार्वजनिक नहीं करने, और जिला फीस समिति की नियमित बैठक नहीं करने की वजह से प्रथम बार की उपयुक्त फीस का निर्धारण नहीं हो पाया है।

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