13 जून
गुरुकुल परंपरा, शिक्षा का एक प्राचीन भारतीय दर्शन है, जो ज्ञान और चरित्र निर्माण पर केंद्रित है।
गुरुकुल शिक्षा का उद्देश्य केवल शैक्षणिक ज्ञान प्रदान करना ही नहीं था, बल्कि छात्रों को आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों का भी शिक्षण देना था।
गुरुकुल शिक्षा प्रणाली ने सदियों से ज्ञान का संरक्षण और प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह बात शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने गुरुवार को पाटन जिला दुर्ग में सहजानंद अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल नूतन गुरुकुल के भूमिपूजन के अवसर पर कही।
श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि,
भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए हमे शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने की आवश्यकता है। जिसमे गुरुकुल परंपरा अहम भूमिका निभायेगी।
भारत की गुरुकुल प्रणाली शिक्षा और संस्कृत का एक अनूठा संगम रही है। जिसके चलते भारत की दुनिया भर में अलग पहचान रही है। गुरुकुल परंपरा से ही संस्कार, संस्कृति, शिष्टाचार, समाजिक जागरुकता, मौलीक व्यक्तित्व, बौद्धिक विकास जैसे अमूल्य गुणों को अपनी आने वाली पीढ़ियों को विरासत में दे सकता हैं।
श्री अग्रवाल ने कहा कि,
उन्होंने कहा कि, यह छत्तीसगढ़ वासियों के लिए सौभाग्य की बात है कि, भारत की इस दिव्य विरासत जीवित रखने के लिए यहां गुरुकुल की स्थापना की जा रही है जिसके लिए वो शास्त्री श्री घन श्याम प्रकाश दासजी एवं श्री कृष्णवल्लभदासजी स्वामीजी का हृदय से आभार प्रकट करते हैं जिनके मार्गदर्शन में गुरुकुल का निर्माण होने जा रहा है।