Chhattisgarh Chamber of Commerce and Industries , छत्तीसगढ़ चेम्बर ने आम बजट हेतु आयकर एवं जीएसटी सरलीकरण हेतु केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण एवं सुनील सिंघी चेयरमेन, राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड को सुझाव भेजा

छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी,विक्रम सिंहदेव,राम मंधान, मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि दिनांक
29 जून 2024, बुधवार को छत्तीसगढ़ चेम्बर द्वारा पत्र प्रेषित कर आम बजट हेतु आयकर एवं जीएसटी सरलीकरण से संबंधित सुझाव दिया गया।
श्री अमर पारवानी ने पत्र के माध्यम से बताया कि औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठनों से प्राप्त आयकर एवं जीएसटी सरलीकरण संबंधी सुझाव निम्नानुसार हैः-
ऽ एमएसएमई को भुगतान में कटौती (धारा 43बी(एच)ः-
इस प्रकार के बदलाव को तुरंत प्रभाव से हटाया जाना चाहिए।
नगद लेन देन सीमा
ऽ धारा 269ैैध्269ज् अंतर्गत नगर लोन/डिपाजिट लेन-देन की सीमा जो कि वर्तमान में मात्र बीस हजार है उसे दो लाख किया जाना चाहिए।
ऽ धारा 40।;3द्ध अंतर्गत नगद खरीदी-बिक्री की सीमा जो कि वर्तमान मे दस हजार है वह दो लाख तक होनी चाहिए।
ऽ मशीनरी, दुपहिया वाहन, चार पहिया एवं स्थायी संपत्ति (10 हजार से अधिक) नगद में खरीदने से अब डेप्रिसियेशन नहीं मिलेगा । जबकि इसे पूर्ववत रखना उचित रहेगा।
ऽ आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, 2 लाख या अधिक रूपये से अधिक की राशि एक सौदों के बदले एक दिन में 1 अप्रैल 2017 के बाद नगद नहीं ली जा सकती है। इससे व्यापार उद्योग में नगदी प्रवाह मे रोक लगेगी ।
ऽ वेतन आय के स्थिति में 50000/- मानक छूट को बढ़ाकर 200000/- किया जाना चाहिए।
ऽ धारा 44।क्। अन्तर्गत 50 प्रतिशत लाभ घोषित किये जाने वालों प्रावधानों में संशोधन करके, 30 प्रतिशत तक सीमा किया जाना चाहिए।
ऽ क्रेडिट कार्ड एवं डेबिट कार्ड से ट्रांजेक्शन करने पर लगने वाले स्वैपिंग चार्जेस को पूरी तरह माफ किया जाना चाहिए जिससे कि डिजीटल लेनदेन को बढावा मिले ।
ऽ हाउस प्रापर्टी संबंधित
ऽ हाऊसिंग लोन मे ब्याज की छूट 2,00,000 रूपये छूट है उसे बढ़ाकर रूपये 4 लाख तक किया जाना चाहिए।
ऽ कैपिटल एसेस्टस बेचने पर होने वाले लांग टर्म लाभ को जिस तरह एक रेसिडेन्सियल हाऊस (घर) खरीदने पर समायोजन मिलता है, उसी प्रकार नये उद्योगों व विस्तार के लिए प्लंाट व मशीनरी खरीदने मे इन्वेस्ट करने पर समायोजन का लाभ मिलना चाहिए।
  बिल्डर के लिए काल्पनिक किराये पर 12 माह के बाद टैक्स लगाना उचित नहीं है।
ऽ टी.डी.एस.
ऽ टी.डी.एस. काटने के लिए बैंक के ब्याज मे 40,000/50,000 रूपये तक तथा अन्य ब्याज पर 5,000 रूपये तक के ब्याज की छूट है इस लिमिट को बढाकर 1,00,000 रूपये कर दिया जाना न्यायसंगत होगा। इसमे बचत खाते के साथ ही एफ. डी. आर. खातों के ब्याज को भी सम्मिलित करना उचित होगा।
ऽ धारा 234 (ई):- जिसमें टी.डी.एस. के रिर्टन विलंब से प्रस्तुत किये जाने पर जो शुल्क (200 रूपये प्रतिदिन) विभाग द्वारा लिया जाता है उसे समाप्त किया जाना चाहिए ।
ऽ ज्क्ै ।न्क्प्ज् ;फन्।त्ज्म्त्स्ल्ध्भ्।स्थ् ल्म्।त्स्ल्द्ध रू ज्क्ै ।न्क्प्ज् के प्रावधानों को लाया जाना चाहिए ताकि स्ंतहम छवण् व िकमकनबजमम को निंयत्रण किया जा सके ।
ऽ आयकर रिटर्न
ऽ 2024-25 के लिए इनकम टैक्स स्लेब निम्न प्रकार से होना चाहिए जिससे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को गति दी जा सकती हैं।
ऽ न्चजव 5 स्ंबे ण् छपस ज्ंग
ऽ 500001 जव 1000000  5ः
ऽ 1000001 जव 25 स्ंबे  10ः
ऽ 2500001  जव 50 स्ंबे 20ः
ऽ ।इवअम 50 स्ंबे 30ः
ऽ पार्टनरशिप फर्म मंे आयकर की दर जो वर्तमान मे 30 प्रतिशत एवं कंपनी में 22 प्रतिशत है उसे घटाकर 20 प्रतिशत की जानी चाहिए ।
ऽ धारा 115 ठठम् रू .
ऽ च्म्छ।स्ज्ल् न्छक्म्त् ैम्ब्ज्प्व्छ 234 थ्ः-
ऽ धारा 40 । (3)
आयकर सर्च एवं सर्वे
अन्य प्रावधानों में सुधार हेतु सुझाव
ऽ धारा-44 ;।म्द्ध
ऽ धारा दृ 44 ;।क्द्ध –
ऽ धारा दृ 44 ;।ठद्ध
ऽ धारा 80 सी की लिमिट
ऽ धारा 80 डी:
ऽ धारा-80 डी डी बीः-
ऽ धारा- 154 ;त्म्ब्ज्प्थ्प्ब्।ज्प्व्छ व्थ् डप्ैज्।ज्ञम्द्ध
ऽ प्छज्त्म्ैज् व्छ त्म्थ्न्छक्ै
ऽ   प्ज्व् ;प्छज्म्त्छ।ज्प्व्छ।स् ज्।ग्।ज्प्व्छद्ध
ऽ ब्प्ज् ;।चचमंसेद्ध ब्मदजतंसए ब्प्ज् ;म्गमउचजपवदद्धए ब्प्ज्;ब्मदजतंसद्ध – ब्प्ज् ;ज्क्ैद्ध
ऽ धारा-56 ;2द्ध रू .
ऽ जिन व्यापारियों की स्क्रूटनी लगातार 3 वर्षो तक हुई हो उसे अगले वर्ष की स्क्रूटनी से मुक्त रखा जावे, वर्तमान मे ऐसे कई व्यापारी है जिनकी स्क्रूटनी लगातार 10 वर्षो से हो रही है।
ऽ ड।ज् की दर 15 प्रतिशत से 10 प्रतिशत की जानी चाहिए।
ऽ केपिटल गेन की गणना वास्तविक मूल्य पर होनी चहिए न कि स्टाम्प वेल्यू पर ।
ऽ प्रत्येक शहर में हालमार्किग सेन्टर खोली जाएं ताकि कारोबारियों को सुविधा मिले।
ऽ वायदा बाजारः- कृषि जिन्सो पर वायदा शीघ्र बंद हों ।
ऽ खुदरा व्यापार को बढ़ावा देने:- खुदरा व्यापार स्वरोजगार का सबसे बडा साधन है,  लगभग साढे तीन करोड भारतीयों को खुदरा व्यापार रोजगार देता है।
ऽ ।ब्ब्व्न्छज् ।ठप्स्प्ज्ल् व्थ् ज्भ्म् ।ैैम्ैैप्छळ व्थ्थ्प्ब्म्त्
कर अधिकारी को रिफंड देरी से प्रदान करने बाबत्, अपील का आदेश समयावधि मंे पालन न करने के लिए आदेशांे का पुनः निर्धारण समय पर न करने के लिये, कम दर के टी.डी.एस. काटने के आदेश न देने के लिए, एवं सर्वे रिपोर्ट को समय पर न बनाने के लिये जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए ।
ऽ प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का लाभ बैंक व्यापारियों को उचित ढंग से नहीं दे रहे हैं। स्थाई में इसके लिए ठोस प्रावधानों की आवश्यकता है। मुद्रा लोन की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख किया जाना चाहिए।
ऽ नए आयकर पोर्टल से संबंधित मुद्देः
ऽ 143(1)(ए)- प्रथम दृष्टया समायोजन करने से पहले सुनवाई का अवसर
ऽ आईटीआर की प्रोसेसिंग न होने/प्रोसेस्ड आईटीआर का रिफंड न जारी होने से संबंधित मुद्दे (इन)
ऽ बड़े रिफंड का मामला
ऽ निर्धारण वर्ष 2022-23 और निर्धारण वर्ष 2023-24 के आईटीआर से संबंधित कई मामलों में, आईटीआर की प्रोसेसिंग अभी भी लंबित है और कुछ मामलों में हालांकि रिटर्न संसाधित हो चुका है लेकिन रिफंड अभी तक जारी/जारी/रोका नहीं गया है।
ऽ बैंक खाते का सत्यापन न होना
विभिन्न करदाताओं द्वारा चिंता जताई गई है कि सहकारी और छोटे बैंकों के बैंक खातों के मामले में बैंक खातों को मान्य नहीं किया जा रहा है, जिससे रिफंड जारी करने में देरी हो रही है।
ऽ अन्य प्रक्रियात्मक मुद्देः
ऽ लघु समय सीमा
ऽ सीआईटी (ए) के समक्ष अपीलों के लंबित होने से संबंधित मुद्दा
ऽ पुरानी मांगों के भुगतान का श्रेय
ऽ अपीलों की प्राथमिकता पर सुनवाई और निपटानः
ऽ धारा 148 – मूल्यांकन को फिर से खोलने के नए प्रावधानः
ऽ प्राथमिक मेल और द्वितीयक मेल दोनों में ई-मेल के माध्यम से नोटिस आदि की सेवा अनिवार्यतः
ऽ धारा 139(8ए) के तहत अद्यतन रिटर्न से संबंधित मुद्देः
ऽ आईटीआर दाखिल करने के लिए अनिवार्य विलंब शुल्क को यक्तिसंगत बनाने से संबंधित मुद्दा (234एफ)ः
ऽ धारा 139(4) के अंतर्गत विलंबित रिटर्न की समय सीमा/धारा 139 (5) के अंतर्गत
संशोधित रिटर्न से संबंधित मुद्दाः
प्रासंगिक निर्धारण वर्ष की समाप्ति से समय सीमा को 31 मार्च (12 महीने) तक बढ़ाने की आवश्यकता है, वर्तमान में यह केवल 31 दिसंबर (9 महीने) तक है।
ऽ धारा 17(2) के अनुदान से संबंधित मुद्देेः
ऽ धारा 263 के तहत आदेश के अनुसार ताजा मूल्यांकनः
ऽ टीसीएस या टीडीएस को हटाया जाना चाहिये
ऽ एलआरएस/विदेशी टूर पैकेज के तहत प्रेषण पर टीसीएस एकत्र करने का मुद्दाः
जीएसटी सरलीकरण हेतु प्रमुख सुझाव निम्नानुसार हैः-
1.      इनपुट टैक्स क्रेडिट जीएसटीआर 2बी के आधार मान्य होने सम्बन्धी प्रावधान को वापस
        लिए जाएं.
2.       यदि क्रेता द्वारा क्रय सम्बन्धी सभी दस्तावेज एवं भुगतान सम्बन्धी समस्त प्रमाण दिए जाए
        तो विभाग द्वारा विक्रेता पर ही कार्यवाही की जानी चाहिए.
3.       त्डब् संबधित प्रावधान.
4.       जीएसटी प्रणाली में ब्याज की गणना के प्रावधान को बदलने बाबत.
5.       नियम 86 बी के प्रावधानों को निरस्त किये जाएं.
6.       पूर्व माह का जीएसटीआर -3बी न जमा होने पर जीएसटीआर -1 जमा करने पर
         प्रतिबन्ध हटाया जाना चाहिए.
7.       नियम 21 जीएसटी पंजीकरण का निलंबन/निरस्तीकरण.
8. (।)   ई-इनवॉइसिंग के 1 अगस्त 2023 से रु.5 करोड़ तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों पर
       लागू किए गए प्रावधान वापस लिए जाने चाहिए.
8. (ठ)    ई-इनवॉइसिंग की स्थिति में खरीददार को इनपुट अनिवार्य रूप से मिलना चाहिए.
9(।).   ई-वे बिल की वैधता अवधि में 50 प्रतिशत की कटौती.
9 (बी). माल के परिवहन एवं ई-वे बिल सम्बंधित समस्याएं.
10.  छुटे हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने एवं वार्षिक विवरण पत्र में संशोधन किए जाने हेतु अवसर
    प्रदान करने बाबत.
11.   जीएसटी वार्षिक विवरण के सम्बंध में सुझाव.
12.   ब्याज, पेनाल्टी एवं विलंब शुल्क से छुट प्रदान करने हेतु .
13.   जीएसटी रजिस्ट्रेशन सरेंडर करने हेतु.
14.   रिटर्न सम्बंधित अन्य समस्याएं.
15.   जीएसटी के प्रावधानों में सुधार हेतु अन्य सुझाव.
16.   व्यवसाय को राहत देने एवं  इज आफ डुईंग हेतु सुझाव.
17.   जीएसटी की दर में कमी करने हेतु सुझाव.
18.   एक व्यवसाय एक कर.
19.   आईजीएसटी आउटपुट के भुगतान के लिये सीजीएसटी या एसजीएसटी इनपुट का उपयोग
     करने  के लिये समान विकल्प दिया जाना चाहिए.
20.   आंशिक रूप से/बिना नकद भुगतान के फॉर्म जीएसटीआर 3बी जमा करने का विकल्प
     दिया जाना चाहिए.
21.   पंजीयन से सम्बंधित समस्याएं.
श्री पारवानी ने माननीया श्रीमती निर्मला सीतारमण जी, केन्द्रीय वित्तमंत्री एवं श्री सुनील सिंघी जी चेयरमेन, राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड से निवेदन किया कि व्यापार एवं उद्योग के हित मंे आयकर एवं जीएसटी सरलीकरण से संबंधित उपरोक्त सुझावों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें।

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