देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अमेज़न और अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अत्यधिक छूट की पेशकश पर कड़ी आलोचना की है, उन पर देश के खुदरा व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाया है। कैट ने कई बैंकों को भी आड़े हाथों लिया, जिन्होंने इन ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म्स पर ख़रीदारी के लिए विशेष छूट और कैशबैक की पेशकश की है। व्यापारिक नेताओं ने इसे छोटे खुदरा व्यापारियों को व्यापार से बाहर करने की एक सोची-समझी साजिश बताया।
कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने बताया कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेज़न ने मोबाइल फ़ोन और एक्सेसरीज़ पर 40 प्रतिशत तक की छूट और लैपटॉप्स पर छूट की घोषणा की है, जबकि शीर्ष टेलीविज़न ब्रांड्स पर छूट 65 प्रतिशत तक जा सकती है। वॉशिंग मशीन, रेफ़्रिजरेटर और एयर-कंडीशनर पर 75 प्रतिशत तक की छूट दी जा सकती है। अमेज़न की त्योहारी छूट योजना के तहत 5 जी सक्षम हैंडसेट ₹8,999 तक की कम कीमत पर उपलब्ध होंगे।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि ये कदम कानूनों और नियमों की स्पष्ट अवहेलना को दर्शाते हैं। हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा जारी की गई जांच रिपोर्ट, इन ई-कॉमर्स दिग्गजों के अनैतिक व्यापारिक तरीकों और कार्यप्रणाली को उजागर करती है, फिर भी ये कंपनियाँ उसी तरह के हानिकारक व्यापारिक तरीकों को जारी रख रही हैं। उन्होंने कहा कि ये कंपनियाँ भारत को ’बनाना गणराज्य’ समझती हैं और देश के कानूनों और नियमों का बिल्कुल भी सम्मान नहीं करतीं। व्यापारिक नेताओं ने यह भी कहा कि कई ब्रांड्स भी इस अनैतिक खेल में शामिल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भले ही ये छूट उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए दी जा रही हो, लेकिन ये खुले तौर पर निष्पक्ष व्यापार और मूल्य निर्धारण से संबंधित नियमों का उल्लंघन करती हैं। इतनी अधिक छूट न केवल बाज़ार की प्रतिस्पर्धा को विकृत करती है, बल्कि छोटे व्यापारियों और उन व्यवसायों के लिए एक असमान स्थिति पैदा करती है जो इतनी भारी छूट देने में सक्षम नहीं हैं।
व्यापारिक नेताओं ने सरकार से इन कंपनियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने, जिसमें उनके त्योहारी बिक्री को निलंबित करना शामिल है, का आग्रह किया है ताकि खुदरा क्षेत्र के हितों की रक्षा हो सके और निष्पक्षता बहाल की जा सके।