महादेव घाट रायपुर में शरद पूर्णिमा के अवसर पर माँ खारुन गंगा महाआरती जनसेवा समिति एवं करणी सेना छत्तीसगढ़ द्वारा खारुन गंगा महाआरती के 2 वर्ष पूर्ण कर लिए गए।
निरंतर रूप से प्रत्येक माह की पूर्णिमा की संध्या को होने वाली यह महाआरती महाकवि महर्षि वाल्मीकि जी जयंती के अवसर पर 24 वीं बार संपन्न हुई। बनारस की तर्ज पर करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश अध्यक्ष तथा माँ खारुन गंगा महाआरती जनसेवा समिति के प्रमुख वीरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा नदियों के संरक्षण और स्वच्छता के साथ-साथ जन मानस में प्रकृति और पर्यावरण के प्रति संवेदना का भाव जगाने एवं सनातन संस्कृति को सुदृढ़ करने की भावना से रायपुर के प्राचीन देवस्थान महादेव घाट में रायपुर शहर को अपने जल से जीवन देने वाली खारुन मैया को गंगा मैया का स्वरूप मानकर पूजा करने का यह जो चलन शुरु किया गया वह 02 वर्षों में एक लोक संस्कृति और मासिक त्यौहार के रूप में अपना एक विशेष स्थान बना चुका है साथ ही 04 विश्व रिकॉर्ड भी अपने नाम दर्ज कर चुका है।
इस माह भी सुंदर भजनों के रसमय प्रवाह के मध्य आरंभ होकर संपूर्ण विधि विधान से प्रशिक्षित ब्राह्मणों द्वारा खारुन गंगा महाआरती संपन्न हुई।
कार्यक्रम की शुरुआत में समस्त श्रद्धालुओं ने भारत की सभी नदियों को स्वच्छ रखने की शपथ ली। आरती आचमन के पश्चात् आगंतुक श्रद्धालुओं ने प्रदान किये हुए दीप खारुन मैया को अर्पित किए एवं खीर प्रसादी ग्रहण कर आरती स्थल से प्रस्थान किया। प्रेस विज्ञप्ति
शरद पूर्णिमा को खारुन गंगा महाआरती ने पूर्ण किए 02 वर्ष
दिनांक 17 अक्टूबर 2024, महादेव घाट रायपुर में शरद पूर्णिमा के अवसर पर माँ खारुन गंगा महाआरती जनसेवा समिति एवं करणी सेना छत्तीसगढ़ द्वारा खारुन गंगा महाआरती के 2 वर्ष पूर्ण कर लिए गए।
निरंतर रूप से प्रत्येक माह की पूर्णिमा की संध्या को होने वाली यह महाआरती महाकवि महर्षि वाल्मीकि जी जयंती के अवसर पर 24 वीं बार संपन्न हुई। बनारस की तर्ज पर करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश अध्यक्ष तथा माँ खारुन गंगा महाआरती जनसेवा समिति के प्रमुख वीरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा नदियों के संरक्षण और स्वच्छता के साथ-साथ जन मानस में प्रकृति और पर्यावरण के प्रति संवेदना का भाव जगाने एवं सनातन संस्कृति को सुदृढ़ करने की भावना से रायपुर के प्राचीन देवस्थान महादेव घाट में रायपुर शहर को अपने जल से जीवन देने वाली खारुन मैया को गंगा मैया का स्वरूप मानकर पूजा करने का यह जो चलन शुरु किया गया वह 02 वर्षों में एक लोक संस्कृति और मासिक त्यौहार के रूप में अपना एक विशेष स्थान बना चुका है साथ ही 04 विश्व रिकॉर्ड भी अपने नाम दर्ज कर चुका है।
इस माह भी सुंदर भजनों के रसमय प्रवाह के मध्य आरंभ होकर संपूर्ण विधि विधान से प्रशिक्षित ब्राह्मणों द्वारा खारुन गंगा महाआरती संपन्न हुई।
कार्यक्रम की शुरुआत में समस्त श्रद्धालुओं ने भारत की सभी नदियों को स्वच्छ रखने की शपथ ली। आरती आचमन के पश्चात् आगंतुक श्रद्धालुओं ने प्रदान किये हुए दीप खारुन मैया को अर्पित किए एवं खीर प्रसादी ग्रहण कर आरती स्थल से प्रस्थान किया।