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दुर्ग: दुर्ग के पूर्व महापौर स्वर्गीय गोविंद धींगरा के पुत्र और वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश धींगरा ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। राजेश धींगरा ने कहा कि उनका परिवार पिछले 47 वर्षों से कांग्रेस से कट्टर रूप से जुड़ा रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में संगठन और सरकार में उनकी उपेक्षा की जा रही थी। इसी उपेक्षा से आहत होकर उन्होंने यह कठोर फैसला लिया है।
राजेश धींगरा ने अपनी राजनीतिक यात्रा 1991 से 2000 के बीच अविभाजित मध्यप्रदेश में प्रदेश युवा कांग्रेस के महामंत्री के रूप में शुरू की थी। उन्होंने बताया कि उनके पिता, स्वर्गीय गोविंद धींगरा, 1977 में कांग्रेस में तब शामिल हुए थे, जब स्वर्गीय इंदिरा गांधी संकट के दौर से गुजर रही थीं। गोविंद धींगरा को स्वर्गीय संजय गांधी से भी प्रेरणा मिली और बाद में वह दुर्ग के महापौर बने।
47 वर्षों से कांग्रेस की सेवा, अब उपेक्षा से दुखी
राजेश धींगरा ने कहा कि उनका परिवार 47 वर्षों से निस्वार्थ भाव से कांग्रेस की सेवा करता रहा, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उनकी पार्टी में भारी उपेक्षा हो रही थी। उन्होंने बताया कि पिछले 6 वर्षों से वह समझ ही नहीं पा रहे थे कि वे कांग्रेस में हैं भी या नहीं। उनकी पार्टी से दूरी और उपेक्षा ने उन्हें इतना आहत किया कि अब उन्होंने कांग्रेस से खुद को पूरी तरह अलग करने का फैसला कर लिया।
उन्होंने अपना इस्तीफा ईमेल के माध्यम से कांग्रेस के केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व को भेज दिया है। उनके इस फैसले से दुर्ग क्षेत्र में कांग्रेस के भीतर हलचल मच गई है, क्योंकि धींगरा परिवार कांग्रेस का एक अहम हिस्सा रहा है।
स्वर्गीय गोविंद धींगरा से मिली प्रेरणा
राजेश धींगरा ने अपने पिता स्वर्गीय गोविंद धींगरा के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनके पिता ने संकट के समय में कांग्रेस का साथ दिया था, जब इंदिरा गांधी को राजनीतिक संकटों का सामना करना पड़ा था। उसी समय उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की और बाद में दुर्ग के महापौर बने। तब से लेकर अब तक उनका परिवार कांग्रेस के प्रति समर्पित रहा है। लेकिन अब, भारी मन से उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा।
उनके इस इस्तीफे ने न केवल दुर्ग बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी हलचल पैदा कर दी है, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी नेतृत्व इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है।