कामयाब होना, हर छात्र का जन्मसिद्ध अधिकार है”: डॉ. रतन लाल डांगी

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हिंदुस्तान न्यूज़ 24 /  शहर की प्रतिष्ठित शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्था “युवा” में *गाइड द यूथ, ग्रो द नेशन* मिशन पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसके मुख्य वक्ता डॉ श्री रतन लाल डांगी,आइपीएस, आईजी(पुलिस), रायपुर थे।

आज के कार्यक्रम की शुरूआत बाबासाहेब डॉ भीमराव आंबेडकर के चित्रपट पर माल्यार्पण कर, की गई।

इसके बाद युवा के छात्रों ने मुख्य अतिथि डॉ. श्री रतन लाल डांगी का स्वागत सूत का माला, पुष्प गुच्छ, शॉल और श्रीफल से किया।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर श्री शंकर झा, वित्तीय नियंत्रक, पीएचक्यू एवं श्री उदयभान सिंह, छत्तीसगढ़ी स्वाभिमान संघर्ष समिति थे। इनके अलावा “प्रेरणा” संस्था की वार्डन श्रीमती भगवती कोष्टी भी मौजूद रहीं।

कार्यक्रम के अगले सत्र में आज के विषय “गाइड द यूथ, ग्रो द नेशन” मिशन पर मुख्य वक्ता डॉ.श्री डांगी ने अपने विद्यार्थी जीवन के संघर्षों एवं चुनौतियों को याद करते हुए कहा कि वह राजस्थान के बहुत छोटे से गाँव से है, एवं उनके पिताजी एक साधारण मजदूर थे। उन्होंने पहली बार बिजली के प्रकाश में तब पढ़ाई की जब वह 12वीं कक्षा में थे। और उन्होंने बताया कि अपने एक आला अधिकारी के ताने पर प्रतिज्ञाबद्ध होकर यू.पी.एस.सी की परीक्षा पास कर आईपीएस बने थे। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि परिवार की परिस्थितियों से आपके करियर या सफलता का कोई संबंध नहीं होना चाहिए, जिसके लिए उन्होंने महात्मा बुद्ध एवं बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर की जीवनी से उदाहरण पेश किया कि कैसे सांसारिक सुखों को त्याग कर एक तरफ महात्मा बुद्ध ने समाज को नई दिशा दी, वही दूसरी ओर सामाजिक पहचान के अभाव एवं तमाम अवहेलनाओं के बावजूद बाबा साहब ने समाज कल्याण में अपना अमूल्य योगदान दिया।

डॉ.डांगी ने विद्यार्थियों को *”कामयाब होना मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है”* के नारे के साथ संबोधित करते हुए कहा कि एक विद्यार्थी के पास खोने के लिए कुछ नहीं होता, होता है तो सिर्फ ओर सिर्फ पाने के लिए, इसलिए महात्मा बुद्ध के उपदेश “अपना दीपक स्वयं बनो” से सीख लेकर स्वयं के प्रयास से आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बिना सफलता का आनंद नहीं मिलता, संघर्ष जितना कठिन होगा, सफलता की नींव उतनी ही मजबूत होती है। इसके साथ ही डॉ.श्री डांगी जी ने छात्रों को परीक्षा की तैयारी के मूल-मंत्र देते हुए कहा कि “आकाश को छूना है, तो बाज को अपना साथी बनाना पड़ेगा” इसलिए अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए उपयुक्त संगति का होना परम आवश्यक है साथ ही अनुशासन में रहते हुए आपको मानसिक ओर शारीरिक संतुलन बनाए रखना भी जरूरी है।

अंत में डॉ. डांगी ने राज्य में नक्सलवाद से निपटने के लिए *”ब्लैक बोर्ड एंड ब्लैक रोड”* का नारा दिया। उन्होंने कहा कि बस्तर के सुदूर क्षेत्रों में शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाकर ही नक्सलवाद को समाप्त किया जा सकता है।

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन देते हुए युवा संस्था के वरिष्ठ सदस्य श्री द्रोहित शिवहरे ने कहा की डॉ. श्री डांगी सर ने अपने व्यक्तिगत जीवन में इतनी कठिनाइयों का सामना करते हुए, उनका इस मुकाम पर पहुंचना वाकई आज के युवा के लिए प्रेरणादायी है। रील हीरो के बजाए, डॉ.डांगी सर जैसे समाज के रियल हीरो को अपना रोल मॉडल बनाने के लिए छात्रों से अपील की।

उन्होंने युवा के अलावा अन्य महाविद्यालयों के छात्रों, प्रेरणा संस्था से आए नेत्रहीन बच्चियों एवं गरिमा ग्रह से आए ट्रांसजेंडर्स छात्रों का भी आभार व्यक्त किया।

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