बिलासपुर। जिले के सबसे बड़े कार्यालय में दिव्यांग और बुजुर्गों के लिए रैम्प की व्यवस्था तो है, लेकिन जो चलने-फिरने में पूरी तरह असमर्थ हैं, उनके लिए व्हीलचेयर की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में अपनी समस्याएं लेकर आने वाले दिव्यांगों और बुजुर्गों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
जिला मुख्यालय में रोजाना बड़ी संख्या में लोग अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद में पहुंचते हैं। इनमें दिव्यांग और बुजुर्ग भी शामिल होते हैं, जिन्हें चलने-फिरने में काफी कठिनाई होती है। कलेक्टर कार्यालय, जो मुख्य मार्ग से लगभग 100 मीटर अंदर स्थित है, वहां तक व्हीलचेयर की कोई स्थायी सुविधा नहीं है।
अधिकारियों का दावा और आश्वासन
जब जिला कार्यालय में व्हीलचेयर की अनुपलब्धता को लेकर अधिकारियों से सवाल किया गया, तो उन्होंने बताया कि मांग के आधार पर व्हीलचेयर उपलब्ध कराई जाती है। हालांकि, जल्द ही स्थायी रूप से व्हीलचेयर की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया गया है।
दिव्यांगों की समस्याएं
करबला निवासी 73 वर्षीय जगदीश सिंह ने अपनी कठिनाई साझा करते हुए बताया, “सड़क किनारे सोने के दौरान किसी ने मेरे पैर पर गाड़ी चढ़ा दी, जिसके कारण अब मैं चलने-फिरने में असमर्थ हूं। मेरे पास न तो घर है और न ही किराए पर मकान लेने की क्षमता। मैं सड़क पर सोता हूं। आज मैं घर और ट्राइसिकल की मांग लेकर कलेक्टर कार्यालय आया हूं, लेकिन व्हीलचेयर की सुविधा नहीं होने के कारण मुझे घिसटते हुए अपनी बात रखने आना पड़ा।”
व्हीलचेयर की स्थायी व्यवस्था की जरूरत
अपर कलेक्टर आरए कुरूवंशी ने कहा, “मांग के आधार पर व्हीलचेयर उपलब्ध कराई जाती है। अगर शिकायत लेकर आने वालों को परेशानी हो रही है, तो कार्यालय में जल्द ही स्थायी रूप से व्हीलचेयर की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी।”
अन्य कार्यालयों में भी समस्या
बिलासपुर जिला मुख्यालय में कई प्रमुख कार्यालय, जैसे पुलिस अधीक्षक कार्यालय, जिला पंचायत, और नई-पुरानी कम्पोजिट बिल्डिंग में भी व्हीलचेयर की कोई सुविधा नहीं है। इन स्थानों पर अपनी समस्याओं के समाधान के लिए पहुंचने वाले बुजुर्ग और दिव्यांगों को भी भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है।
यह स्थिति इन कमजोर वर्गों की दुर्दशा को दर्शाती है और प्रशासन से अपेक्षा की जाती है कि वह शीघ्र ही इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले।