फिलहाल जेल में ही रहेगा दिल्ली दंगों का आरोपी ताहिर हुसैन, चुनाव प्रचार के लिए जमानत देने पर सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों ने दिया अलग-अलग फैसला

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2020 के दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपियों में से एक, ताहिर हुसैन, फिलहाल जेल में ही रहेगा। AIMIM के टिकट पर दिल्ली की मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे ताहिर ने प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच में दोनों जजों की राय अलग-अलग होने के कारण इस मामले को अब तीन जजों की बेंच के पास भेजा जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट में जमानत पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने ताहिर हुसैन और दिल्ली पुलिस के वकीलों की दलीलें लगभग दो घंटे तक सुनीं। जस्टिस पंकज मिथल ने ताहिर पर लगे गंभीर आरोपों को देखते हुए उसे जमानत देने से इनकार कर दिया। वहीं, जस्टिस अमानुल्लाह का मानना था कि आरोप चाहे कितने भी गंभीर हों, वह फिलहाल सिर्फ आरोप हैं। उन्होंने ताहिर को 4 फरवरी की सुबह तक चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने की बात कही।

मामला जाएगा तीन जजों की बेंच के पास

दोनों जजों की अलग-अलग राय के बाद, बेंच के अध्यक्ष जस्टिस पंकज मिथल ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि यह मामला अब चीफ जस्टिस के पास भेजा जाए। चीफ जस्टिस तीन जजों की बेंच का गठन करेंगे, जो इस मामले की सुनवाई करेगी।

दिल्ली दंगों में ताहिर हुसैन की भूमिका

2020 में दिल्ली में हुए दंगों में 50 से अधिक लोगों की जान गई थी। ताहिर हुसैन पर इन दंगों में सक्रिय भूमिका निभाने और आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या की साजिश रचने का आरोप है। दंगों से जुड़े आठ मामलों में उसे पहले ही जमानत मिल चुकी है, लेकिन अंकित शर्मा हत्याकांड में अब तक जमानत नहीं मिली है।

हाई कोर्ट का निर्णय

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने ताहिर हुसैन को कस्टडी परोल पर बाहर आकर नामांकन दाखिल करने की अनुमति दी थी। हालांकि, चुनाव प्रचार के लिए जमानत देने से इनकार कर दिया था।

अन्य कानूनी अड़चनें

भले ही ताहिर हुसैन को अंकित शर्मा हत्याकांड में अंतरिम जमानत मिल जाए, लेकिन उसका जेल से बाहर आना मुश्किल है। उसके खिलाफ PMLA (मनी लॉन्ड्रिंग) और UAPA (आतंकवाद निरोधक कानून) के तहत भी दो मामले दर्ज हैं, जिनमें निचली अदालत ने उसे जमानत नहीं दी है।

निष्कर्ष

ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत का फैसला अब तीन जजों की बेंच पर निर्भर है। दिल्ली दंगों में उसकी कथित भूमिका और कई गंभीर आरोपों के चलते यह मामला बेहद संवेदनशील है। आने वाले दिनों में इस पर न्यायालय का अंतिम निर्णय अहम होगा।

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