दुनियाभर में भारतीय इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन अब श्रमिकों की मांग भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ रही है। इसी कड़ी में ताइवान ने अपने घरेलू उद्योगों में श्रम संकट को दूर करने के लिए भारत के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते के तहत, 2024 की गर्मियों में भारतीय श्रमिकों का पहला बैच ताइवान जाएगा।
पूर्वोत्तर राज्यों को प्राथमिकता
ताइवान स्थित सूत्रों के अनुसार, ताइपे ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों—असम, मिजोरम और नागालैंड—के श्रमिकों को प्राथमिकता दी है। इसका मुख्य कारण इन क्षेत्रों की सांस्कृतिक समानता बताई जा रही है। इन राज्यों के साथ बातचीत अंतिम चरण में पहुंच चुकी है, और भर्ती प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी।
रिक्रूटमेंट प्लान
ताइवान की कंपनियां अंग्रेजी में कुशल श्रमिकों को प्राथमिकता देंगी। श्रमिकों के ताइवान जाने से पहले, भारतीय अधिकारियों और ताइवानी कंपनियों के सहयोग से ओरिएंटेशन सत्र आयोजित किए जाएंगे। इससे उन्हें वहां की कार्यसंस्कृति और अन्य आवश्यक प्रक्रियाओं की जानकारी दी जाएगी।
सैलरी और रोजगार की शर्तें
फरवरी 2024 में हुए समझौते के तहत, ताइवान भारतीय श्रमिकों को विनिर्माण, कृषि और निर्माण जैसे क्षेत्रों में नियुक्त करेगा। श्रमिकों की भर्ती और प्रशिक्षण की जिम्मेदारी भारत की होगी, जबकि ताइवान उनकी संख्या, कार्यक्रम की अवधि और उद्योगों के चयन का निर्णय करेगा।
समझौते पर हस्ताक्षर के बाद, भारतीय और ताइवानी अधिकारियों ने नवंबर 2024 में ताइपे में एक रोडमैप तैयार करने के लिए बैठक की। सैलरी और नौकरी की अवधि से जुड़े मुद्दों पर अंतिम निर्णय फरवरी 2025 में होने वाली अगली बैठक में लिए जाने की संभावना है।