कैट द्वारा चीनी सामान के बहिष्कार आव्हान के अभियान से चीन को लगेगा 75 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का झटका

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि पिछले दो वर्षों में कोविड महामारी के कारण प्रदेश सहित देश के व्यापार पर बुरा असर पड़ा है। भारी धन संकट तथा बाज़ार में बड़ी उधारी के कारण व्यापारी वर्ग भारी वित्तीय दबाव में है लेकिन 31 अगस्त से शुरू हुए गणेश महोत्सव मे हो रहे अच्छे व्यापार तथा भारतीय उत्पादों की ख़रीद के कारण व्यापारियों को उम्मीद बंधी है की इस वर्ष दिवाली तक देश में त्यौहारी बिक्री 1 लाख करोड़ रुपए तक हो सकती है वहीं दूसरी ओर कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा 31 अगस्त से एक बार फिर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का देशव्यापी अभियान शुरू करने के बाद इस वर्ष भी रोज़मर्रा की इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं तथा त्यौहारों की ख़रीद से चीन से भारत में सामान आयात करने के व्यापार को लगभग 75 हज़ार करोड़ रुपए के व्यापार का एक बड़ा झटका लगना तय है। कैट को उम्मीद है कि अब से लेकर दिवाली त्योहार की बिक्री अवधि के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा दिवाली तथा अन्य त्यौहारों से सम्बंधित सामानों की ख़रीद के अलावा अन्य अनेक सामानों की ख़रीद के कारण अर्थव्यवस्था में लगभग 2,5 लाख करोड़ रुपये की पूँजी का प्रवाह हो सकता है। कैट द्वारा वर्ष 2020 से देश भर में लगातार चलाए जा रहे चीनी वस्तु बहिष्कार अभियान का एक असर यह अवश्य पड़ा है की जहां बड़ी संख्या में भारतीय व्यापारियों एवं आयातकों ने चीन से सामान मँगवाना बंद कर दिया है वहीं एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि उपभोक्ता भी चीनी सामान खरीदने में दिलचस्पी नहीं ले रहे है जिसके कारण भारतीय सामान की माँग में वृद्धि होना तय है। यह ट्रेंड इस बात को स्पष्ट करता है की इस त्यौहारी सीज़न में शिल्पकार, मिट्टी का सामान बनाने वाले लोग तथा छोटे उद्यमियों को बड़ा व्यापार मिलने की संभावना है।

कैट के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने कहा कि कैट की रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा हाल ही में विभिन्न राज्यों के 20 शहरों को जिन्हे कैट ने “वितरण शहर“ का दर्जा दिया हुआ है, में किए गए एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है की इस वर्ष अभी तक भारतीय व्यापारियों या आयातकों द्वारा दिवाली के सामान, पटाखों या अन्य समान वस्तुओं का कोई ऑर्डर चीन को नहीं दिया गया है और इस साल दीवाली को विशुद्ध रूप से “हिंदुस्तानी दिवाली“ के रूप में मनाया जाएगा। ये 20 शहर रायपुर, नई दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई, नागपुर जयपुर, लखनऊ, चंडीगढ़, भुवनेश्वर, कोलकाता, रांची, गुवाहाटी, पटना, चेन्नई, बंगलुरू, हैदराबाद, मदुरै, पांडिचेरी, भोपाल और जम्मू हैं। हर साल राखी से नए साल तक के 5 महीने के त्योहारी सीजन के दौरान भारतीय व्यापारी और निर्यातक चीन से लगभग 80 हजार रुपये का आम ज़रूरत के माल आयात करते हैं। चीनी सामानों के बहिष्कार का कैट का आह्वान इस वर्ष भी चीनी व्यापार के लिए एक बड़ा झटका होने वाला है तथा इस मांग की पूर्ती के लिए देश भर के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों में भारतीय सामान का पर्याप्त बंदोबस्त करना शुरू कर दिया है।

पारवानी एवं श्री दोशी ने कहा कि चीनी सामान के बहिष्कार की प्रवृत्ति अब से शुरू हो रहे सभी त्यौहारों से लेकर दिवाली तक देखे जाने के चलते यह स्पष्ट रूप से इंगित होता है कि यह न केवल व्यापारी हैं जो चीनी सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं बल्कि उपभोक्ता भी चीन से बने उत्पादों को खरीदने के इच्छुक नहीं हैं। यह प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “मेक इन इंडिया“ और “आत्मनिर्भर भारत“ की दिशा में व्यापारिक समुदाय का एक मजबूत और ठोस योगदान है।

पारवानी एवं  दोशी ने बताया की प्रमुख रिटेल सेक्टर जैसे एफएमसीजी सामान, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, खिलौने, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज और सामान, किचन के सामान और एक्सेसरीज, गिफ्ट आइटम, पर्सनल कंज्यूमेबल्स, कन्फेक्शनरी आइटम, होम फर्निशिंग, टेपेस्ट्री, बर्तन, बिल्डर्स हार्डवेयर, फुटवियर, घड़ियां, फर्नीचर और फिक्सचर, वस्त्र, फैशन परिधान, कपड़ा, घर की सजावट के सामान, मिट्टी के दीयों सहित दिवाली पूजा के सामान, देवी देवता, दीवार पर लटकने वाले, हस्तशिल्प के सामान, वस्त्र, शुभ-लाभ,ओम जैसे सौभाग्य के प्रतीक, गृह सज्जा के लिए देवी लक्ष्मी एवं अन्य देवी देवताओं के बनाया गए विभिन्न रूप , सजावटी वस्तुएं आदि प्रमुख क्षेत्र हैं जहां चीनी सामानों के स्थान पर व्यापारियों ने उपभोक्ता की मांगो के अनुरूप भारतीय सामान को पर्याप्त मात्रा में स्टॉक करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।

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