रमन सिंह किस नैतिकता से संविदा कर्मियों के आंदोलन का समर्थन करने गये थे?-कांग्रेस

राज्य में ठेका कर्मी, संविदा कर्मी की भर्तियां तो रमन राज में हुई

रमन राज में सीधी भर्तियां बंद कर युवाओं को ठगा गया

रमन सिंह किस नैतिकता से संविदा कर्मचारी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन करने गये थे? प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि इन संविदा कर्मचारियों के वर्तमान हालात के जिम्मेदार तो खुद रमन सिंह है। इस प्रदेश में उनकी 15 साल सरकार थी, सरकारी विभागों में सीधी नियुक्तियों का मार्ग रमन सिंह ने ही बंद किया था। 15 साल तक कर्मचारियों की नियमित भर्तियां रमन राज में नहीं होती थी। राज्य लोकसेवा आयोग, व्यापम जैसी संस्थाओं से होने वाली भर्तियां भी रमन राज में लगभग न के बराबर होती थी। जब रमन सिंह मुख्यमंत्री थे तब अनियमित कर्मचारियों, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों, संविदा कर्मचारियों की याद नहीं आयी। अब उन्हें दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी की याद आ रही है। रमन सिंह की सरकार ने सरकारी कामकाज के लिये आउट सोर्सिंग के माध्यम से ठेका कर्मचारियों की नियुक्ति किया। प्रदेश के बाहर की प्लेसमेंट एजेंसियां तथा भाजपा नेताओं के रिश्तेदारों और उनके परिजनों ने प्लेसमेंट एजेंसियां खोलकर सरकार से ज्यादा पैसा लेकर कम वेतन और आधे वेतन में युवाओं की भर्तियां किया, यदि रमन सिंह सरकारी विभागों की जरूरतों के अनुसार विभिन्न पदों पर सीधी भर्तियां करवाते तो आज प्रदेश में बड़ी संख्या में संविदा और अनियमित कर्मचारी नहीं होते। सारी परेशानी की जड़ स्वयं रमन सिंह है और आज वे ही कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन करने पहुंच गये। यह उनकी अवसरवादी राजनीति है।

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्लेसमेंट एजेंसियों के लूट खसोट को बंद करवाया गया। सभी विभागों में आवश्यकतानुसार नियमित भर्तियां करवाना शुरू किया गया। शिक्षा विभाग, वन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, बिजली, पंचायत एवं अन्य विभागों में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद हजारों की संख्या में नियमित भर्ती हुई है। 5 लाख युवाओं को पिछले चार साल में रोजगार दिया गया। कांग्रेस सरकार अनियमित कर्मचारियों के मांगों के प्रति संवेदनशील है और उनकी भर्ती की सेवा शर्तों के अनुसार सरकार सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लेगी। भाजपा और उसके नेता कर्मचारियों के आंदोलन पर राजनैतिक रोटी सेकने से बाज आयें।

 

 

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