रायपुर। श्री राम मंदिर के शुभारंभ के संबंध में गृहमंत्री अमित शाह का बयान भाजपा की जबरिया श्रेय लेने की राजनीति है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि श्री राम मंदिर निर्माण का पुनीत कार्य हिंदू-मुसलमान दोनों के परस्पर सहमति से हो रहा है।
देश का हर नागरिक चाहता था वहां मंदिर बने और सभी के सहयोग से मंदिर बन रहा है। यह देश की सुप्रीम कोर्ट के आदेश से संभव हुआ। भाजपा के लिये अयोध्या में श्री राम मंदिर का मामला सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने तक सीमित था। भाजपा का बस चलता तो यह कभी श्री राम मंदिर नहीं बनता वह इस विवाद का पटाक्षेप कभी नहीं चाहती थी।
श्री राम मंदिर के नाम पर राजनीतिक रोटी सेकने वाली भारतीय जनता पार्टी तो कभी चाहती ही नहीं थी कि श्री राम का मंदिर बने वह तो श्री राम के मंदिर को विवादों में घसीटने की जुगत में लगी रहती थी ताकि राम मंदिर के नाम पर हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण कर अपनी राजनैतिक जमीन मजबूत की जा सके।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि श्री राम मंदिर निर्माण के लिए पहला प्रयास 1949 में हुआ था तब देश के प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू थे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत थे तब 22 और 23 दिसंबर को पूजा अर्चना कर श्री राम लला की प्रतिमा को गर्भगृह के अंदर पहुंचाया गया था।
इसके बाद जब देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी और यूपी के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह थे तब 1986 में जिला न्यायालय फैजाबाद के आदेश से राजीव गांधी ने श्री राम मंदिर का ताला खोलवाया था।
इसके बाद श्री राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए ही 1989 में जब यूपी के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे तब श्री राम मंदिर का शिलान्यास राजीव गांधी ने साधु संतों के हाथों करवाया था।
राजीव गांधी ने 1989 में अपनी चुनावी सभा की शुरुआत भी अयोध्या से करते हुए कहा कि देश मे राम राज्य लाना आवश्यक है उन्होंने श्री राम मंदिर के विवाद के मसले पर कहा था कि यह मामला हल होना देश के समग्र विकास के लिए भी जरूरी है।
जब देश के प्रधानमंत्री कांग्रेस के नरसिम्हा राव बने तब उन्होंने श्री राम मंदिर परिसर की जमीन मंदिर के पक्ष में अधिग्रहित करवाया ताकि मंदिर बनने के मार्ग की बाधा दूर हो सके।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राम के नाम पर फर्श से अर्श पर पहुंचने वाली भारतीय जनता पार्टी के लिए श्री राम मंदिर हमेशा से एक राजनैतिक मुद्दा रहा यही कारण है कि केंद्र में 1996 तथा 1998 फिर 1999 में सरकार बनाने के बाद भाजपा ने पूर्ण बहुमत का बहाना बना कर मंदिर बनाने से पल्ला झाड़ लिया।
2014 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद भी भाजपा राम मंदिर बनाने के नाम पर बंगले झांकती थी। 2019 के लोकसभा चुनाव के समय भाजपा श्री राम मंदिर के नाम का भी उल्लेख नही करना चाहती थी।
साधु संतों श्री राम लला मंदिर कमेटी के प्रयासों से उनके द्वारा प्रस्तुत तर्को से सहमत हो कर सुप्रीम कोर्ट ने श्री राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को मंदिर निर्माण की कमेटी बनाने के आदेश दिए है तब केंद्र सरकार ने मंदिर निर्माण समिति का गठन किया। मोदी और भाजपा का मंदिर निर्माण में कोई योगदान नही है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा ने मंदिर निर्माण के नाम पर चंदा वसूली के सिवा कुछ नहीं किया।
1996 में अयोध्या में कार सेवा के बाद भाजपा और उसके सहयोगी स्वयं भू कुछ हिन्दू संगठनों ने देश भर में श्री राम शिला पूजन के नाम से गांव गांव से शिला मंगवाया था और मंदिर निर्माण के नाम पर चंदा भी एकत्रित किया गया।
बताते है कि मंदिर निर्माण के नाम पर एकत्रित किया गये इस चंदे की राशि डेढ़ हजारकरोड़ रु से अधिक की है।
विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ पदाधिकारी ने और भाजपा के ही एक सांसद ने इस चंदे के बारे में अनेकों बार सार्वजनिक बयान दिया था।
भाजपा और आरएसएस के लोग बताए कि श्री राम मंदिर के नाम पर एकत्रित किया गया हजारो करोड़ रु कहा गया? यह राशि किसके पास है ?इतनी बड़ी धनराशि के बावजूद फिर से चंदा एकत्रित करने की जरूरत क्यो पड़ी थी?