मनरेगा कर्मचारियों के हड़ताल के 65 वे दिन धरना स्थल पर आज मातम छाया रहा। तीन मनरेगा कर्मचारियों के शव को घेरे रोते-बिलखते कर्मचारी अपने साथी के बिछड़ जाने का दुख मना रहे थे। यह दृश्य बेहद झकझोर करने वाला था। रास्ते से गुजरने वाले राहगीर रूककर दुर्घटना की जानकारी लेकर मनरेगा परिवार के पास पहुंच कर अपनी संवेदना जाहिर कर रहे थे। अवगत हो कि बीते दिन कर्मचारियों ने पंडाल पर अपनी आर्थिक स्तिथि बताने के लिए संविदा कर्मचारी का पुतला बनाकर उसे आत्महत्या करते हुए दिखाया गया था , जिसका आज मातम व काठी का कार्यक्रम रख नाटक मंचन किया गया। मनरेगा कर्मचारी प्रतीकात्मक रूप से यह दिखाना चाहते हैं कि संविदा में नौकरी करना आत्महत्या करने के समान है।
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांत अध्यक्ष चंद्रशेखर अग्निवंशी ने कहा कि विगत वर्षों में हमारे 3000 साथियों की बर्खास्तगी अथवा सेवा से स्वत पृथक हुए हैं। संविदा अधिनियम काला कानून हैं, इस काला कानून का उपयोग करते हुए एक झटके में 2 जून को हमारे 21 सहायक परियोजना अधिकारियों की सेवा समाप्ति की गई । सेवा समाप्ति करने के पूर्व एक बार भी नहीं सोचा गया कि यही वह 21 कर्मचारी हैं जिन्होंने छत्तीसगढ़ को विगत वर्षों में 31 राष्ट्रीय अवार्ड दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क्रूरता पूर्वक कलम चलाते हुए अधिकारियों ने एक बार भी नहीं सोचा कि 10- 15 वर्षों से जो कर्मचारी जी जान लगाकर काम करते हैं सेवा समाप्ति के बाद उनके परिवार की स्थिति कैसी होगी।
कांग्रेस सरकार ने अपने जन घोषणा पत्र में यह वादा किया गया था, कि समस्त संविदा कर्मचारियों की नियमितीकरण एवं किसी भी संविदा कर्मचारी की छटनी नहीं की जाएगी यह वादा की थी किंतु इसके विपरीत कड़ा दंडात्मक कार्रवाई की गई है।