आपकी आँखें धुंधली हो रही हैं और आप इंटरनेट में गूगल बाबा से पूछते हैं ऐसा क्यों हो रहा है? तब गूगल बाबा स्क्रीन पर कई कारण सामने रख देता है और आप घबरा जाते हैं। ऐसा कई लोगों के साथ हो रहा है। इंटरनेट एक मशीन है, गूगल वही जानकारी आपके सामने रखता है जो इंटरनेट में भरी गई है। ज़रूरी नहीं है कि आपमें दिखने वाले लक्षण उसी बीमारी के हों जो गूगल बता रहा है।
यहाँ तक भी ठीक है, मुसीबत तब हो जाती है जब लोग इंटरनेट में देखकर स्वयं ही अपना उपचार करने लगते हैं। हर दवाई के अपने मेरिट्स और डी-मेरिट्स होते हैं। किस परिस्थिति में कौन सी दवाई उचित है यह एक डॉक्टर ही बता सकता है, क्योंकि वह प्रत्यक्ष रूप से आपकी जांच करता है। दवाएँ अलग-अलग शरीर में अलग-अलग प्रभाव दिखा सकता है। दवा को क्या डोज़ आपको दिया जाना है। आपके शरीर में दिखने वाले लक्षण सामान्य है या किसी बीमारी के कारण है यह डॉक्टर डायग्नोस करने के बाद ही बता सकते हैं। उसके बाद बीमारी के आधार पर दवा दी जाती है
आँखों के मामले में यह प्रैक्टिस जी का जंजाल बन सकती है | छत्तीसगढ़ आई हॉस्पिटल के नेत्र रोग विशेषज्ञ कहते हैं
“आँखें शरीर का सबसे नाज़ुक अंग है। ऐसे ही कोई भी दवाई इसमें नहीं डाली जा सकती। दवा देने से पहले आँखों की प्रॉपर जांच ज़रूरी है। आपकी आँखें लाल हैं तो इसके कई कारण हो सकते हैं। अगर गूगल सर्च के आधार पर आप अगर किसी नतीजे पर पहुँचते हैं तो यह खतरनाक हो सकता है।”
बिना विशेषज्ञ की सलाह के इंटरनेट में देखकर आँखों में दवा डालने से उसका विपरीत प्रभाव भी पड़ सकता है। या किसी घरेलु या देसी उपचार के चक्कर में लेने के देने पड़ सकते हैं। स्वास्थ्य संबंधित जानकारी बढ़ाने के लिए इंटरनेट का सहारा लें, लेकिन स्वयं पर प्रयोग न करे |
इंटरनेट पर कई विश्वसनीय वेबसाइट और रिसर्च पेपर उपलब्ध हैं। इसमें विभिन्न बीमारियों और स्वास्थ्य संबंधी परिस्थितियों के बारे में जानकारी मिलती है। जानकारी रखना अच्छी बात है, यह जागरूकता के लिए ज़रूरी है, परंतु उपचार करना डॉक्टर का काम है उन्हें ही करने दें।