लोकसभा और विधानसभा में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण बिल पर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने केंद्र सरकार के नियत पर सवाल खड़े करते हुये कहा कि मोदी जी की नीयत और नीति स्पष्ट होती तो 2024 के चुनाव में महिला आरक्षण का 33 प्रतिशत बिल लागू करने का प्रावधान होता। भाजपा की नीयत में खोट है इसलिए केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 82-81(3) का हवाला दिया जिसके अनुसार 2026 का परिसीमन उसके बाद वाली जनगणना मतलब 2031 वाली जनगणना पर ही संभव है यानि महिला आरक्षण संभवतः 2039 तक ही हो सकती, 2019 में वादा में भी था महिला आरक्षण का 9 साल इसके बारे में एक कदम नहीं उठाये 2021 को जनगणना होनी थी वह भी नहीं हुआ। कहीं नरेंद्र मोदी सरकार के ये षड़यंत्र तो नहीं था इसलिए 2021 की जनगणना हुई होती तो 2024 के लोकसभा के चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देना पड़ता। भाजपा हमेशा महिलाओं से ही षड़यंत्र रचने का काम किये है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान 73वें संविधान संशोधन के बाद स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए पंचायती स्तरों पर एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान किया था। सिर्फ राजनीति ही नहीं बल्कि सेना, नौसेना और वायुसेना में महिलाओं को 11 प्रतिशत आरक्षण भी दिया गया था। कांग्रेस पार्टी ने हमेशा से पंचायती राज से लेकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने का काम किये है। मोदी सरकार ने 33 प्रतिशत आरक्षण के नाम पर महिलाओं को झुनझुना थमा दिया है। आरक्षण लागू किए जाने के लिए परिसीमन और जनगणना पर निर्भरता की शर्त सही नहीं है। केंद्र सरकार की मंशा ठीक होती तो आने वाले पांच विधानसभाओं के चुनाव में ही इसे लागू किया जाता। आरक्षण के नाम पर महिलाएं ठगा महसूस कर रही है। जातिगत जनगणना के नाम से भाजपा क्यों परेशान है? हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और है। ऐसा ही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के है। आरक्षण के नाम पर वोट मांगेंगे।