रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संदीप शर्मा ने श्रीराम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के निमंत्रण को कांग्रेस द्वारा ठुकराए जाने के फैसले पर कहा कि इससे कांग्रेस का सनातन विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है। श्री शर्मा ने कहा कि इससे कांग्रेस का राम-द्रोही चेहरा अब खुलकर सामने आया है। छत्तीसगढ़ के जो कांग्रेसी अपने भाँचा श्री राम के प्रति अगाध श्रद्धा रखते हैं, श्री शर्मा ने उन सबसे यह आग्रह किया है कि वे सब लोग ऐसी पार्टी का साथ छोड़ दें, जिसकी आस्था श्रीराम के प्रति नहीं है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के भाँचा राम को मानने वाले कांग्रेसी प्रभु श्रीराम की शरण में जाएँ, या फिर यह साफ करें कि उनकी आस्था क्या सोनिया-दरबार के प्रति है? श्री शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल भाजपा समेत तमाम धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतित संस्थाओं के कार्यकर्ता घर-घर जाकर पीले अक्षत व भगवान श्री राम के चित्र का वितरण करके छत्तीसगढ़ के सभी मंदिरों और घर-घर में पूजा-पाठ, कीर्तन, दीप प्रज्जवलन कर इस कार्यक्रम को भव्य और चिरस्मरणीय बनाने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। श्री राम लला के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पूरे प्रदेश में अभूतपूर्व उत्साह का वातावरण है। एक ओर जहाँ 22 जनवरी को प्रदेश के कोने-कोने में घर-घर दीप जलाकर दीपावली मनाई जाएगी, वहीं दूसरी ओर दुर्भाग्य यह है कि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व ने जो फैसला किया है, उससे छत्तीसगढ़ का केवल एक स्थान राजीव भवन अंधकार में डूबा रहेगा। यह निर्णय बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री शर्मा ने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी के तौर पर राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के छत्तीसगढ़ प्रवास पर कटाक्ष कर कहा कि विधानसभा चुनाव में पराजय से पस्त हो चली छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने अपनी टूटी नाव चलाने के लिए राजस्थान से पायलट को बुलवाया है। यह कतई नहीं भूला जाना चाहिए कि ये वही पायलट हैं, जिन्होंने अपने राज्य में कई बार कांग्रेस के उड़ते प्लेन को खींचकर पटकने का काम करके कांग्रेस की सत्ता को धूल चटाई है। इससे पहले कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी शैलजा थीं, जिन्होंने पहले हरियाणा और फिर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की लुटिया डुबाने का काम किया था। श्री शर्मा ने कहा कि अपने-अपने राज्य में जिन नेताओं ने बगावत की, उन्हीं नेताओं के सहारे कांग्रेस अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। छत्तीसगढ़ के बागियों को सम्हालने के लिए अब इन्हीं चेहरों को कांग्रेस छत्तीसगढ़ में बुला रही है। इससे कांग्रेस का कोई भला नहीं होने वाला है।