रायपुर/ महान प्रतापी राजा व गुरु घासीदास जी के द्वितीय सुपुत्र गुरु बालकदास जी की 164 वीं. बलिदान दिवस पर गुरुवार को सतनामी समाज के लोगों ने न्यू राजेंद्र नगर स्थित गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी भवन में उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। इस दौरान समाजजनों ने शासन से मांग करते हुए एक स्वर में गुरु बालकदास की शहादत स्थल औराबांधा (मुंगेली) में स्मारक बनाने तथा उनकी जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की पुरजोर मांग उठाई। आयोजन समिति के प्रवक्ता चेतन चंदेल ने बताया कि कार्यक्रम में मंगल भजनों के माध्यम से गुरुजी की अदम्य साहस ,पराक्रम व महिमा का बखान कर उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व को याद किया गया।
इस अवसर पर छ.ग. राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के.पी. खण्डे ने कहा कि गुरुजी की ख्याती एक शक्तिशाली राजा के समान थी यदि वे अधिक समय तक जीवित होते तो समाज की दिशा व दशा और अधिक मजबूत होती, उन्होंने हमें अपने हक और अधिकारों के लिए संघर्ष करना सिखाया। आज गांव- गांव में भंडारी, साटीदार ,मंहत, राजमहंत जैसे पद सृजित है वह गुरु जी की ही देन है।
कार्यक्रम को गुरु घासीदास शोध पीठ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जे.आर.सोनी, नगर निगम एससी/ एसटी. विभाग के अध्यक्ष सुंदरलाल जोगी, चंपादेवी गेंदले, जी.आर.बाघमारे, के. एल. रवि, प्रो. आर.पी. टंडन, मोहनलाल डहरिया, पं. अंजोरदास बंजारे, दिनेश जांगड़े व कृपाराम बांधे ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर आर.के. पाटले, प्रकाश बांधे,अरुण मंडल, घासीदास कोसले, मानसिंह गिलहरे, नंदू मारकंडे, बाबा डहरिया, संतोष महिलांग, दयाराम जांगड़े, तुलाराम टंडन, नरेंद्र कुर्रे, महेश सोनवानी, घासीराम सोनवानी, सेवाराम कुर्रे, प्रेमचंद सोनवानी, डॉ. कल्याण रवि, संगीता बालकिशोर, संतराम कुर्रे, अभिषेक टंडन, लोकेश कुर्रे, कृष्णा बंजारे, सागर सोनवानी सहित अनेकों लोग उपस्थित थे ।