पंजाबी साहित्य जगत के एक महान कवि और साहित्यकार, पद्मश्री सुरजीत पातर का शनिवार को निधन हो गया। उनके दिल का दौरा पड़ने से 79 वर्षीय पातर ने लुधियाना में अंतिम सांस ली। उनके पिछले कुछ दिनों से तबियत ठीक नहीं थी, और उनके परिवार के कई सदस्य विदेश में थे, इसलिए उनके अंतिम संस्कार का आयोजन उनके आने के बाद होगा।
सुरजीत पातर को उनकी कविताओं के माध्यम से पंजाबी भाषा का नया आयाम दिया गया था। उनकी रचनाएं मानवीय संवेदनाओं, प्रकृति प्रेम और सामाजिक मुद्दों को बखूबी दर्शाती थीं। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री सम्मान, और कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनके जाने से पंजाबी साहित्य जगत में एक गहरा शून्य पैदा हो गया है, जिसकी भरपाई शायद ही कभी हो पाएगी।