रायपुर। कोई जल्दी बनता है तो कोई लेट से बनता है लेकिन शिवजी को जल चढ़ाने वाला एक न एक दिन सेठ जरुर बनता है इसलिए तुम जिस दिन समय की कीमत जान लोगे, भगवान शिव तुम्हारा बेड़ा पार लगा देंगे। मकान बनाने के लिए गारे की जरुरत पड़ती है और भगवान शिव को अपने घर में बसाने के लिए दिल की जरुरत है जिस दिन तुम उन्हें इस जगह पर बसा लोगों उस दिन से तुम्हारा भला होना प्रारंभ हो जाएगा। शिवजी को जब भी पूजो मन से पूजो, भेदभाव रखोगे तो भोलेनाथ नहीं आएंगे। बड़ों को श्मशान में जलाया जाता है और बच्चों को जमीन में दफनाया जाता है। बड़ो के लिए भगवान शिव पिता है और बच्चोंं के लिए माँ गौरी है जो उनकी गोद में सोए रहते है। किसी उद्देश्य को लेकर ही भगवान शंकर ने हमें इस पृथ्वी पर भेजा है. इसलिए हमें उनकी अराधना जरुर करना चाहिए। पता नहीं किस दिन वह तुम्हें कौन सी नौकरी लगा दे पता नहीं चलेगा। किसी चौक में बीड़ी पत्ती मलने या चिलम फुकने से जीवन सफल नहीं होता, समय की कीमत को समझना शुरू कर दें. महादेव आपको श्रेष्ट बना देंगे। ये बातें अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने अमलेश्वर में चल रहे शिवमहापुराण कथा के पांचवें दिन कहीं। आज पंडित प्रदीप मिश्रा ने पवन खंडेलवाल की धर्मपत्नी उमा देवी खंडेलवाल का पर्चा पढ़ा। जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने रायपुर एम्स में अपना जांच करवाया तो उन्हें कैंसर बताया गया था. बेटी के कहने पर मुंबई के हॉस्पिटल में चेक कराया गया लेकिन वहां पर भी उनका कैंसर दूर नहीं हुआ इसके बाद वे सिहोर गई वहां से रुद्राक्ष लाकर रोजाना उसका जल पीना शुरु की और पिछले 6 माह से कैंसर ख़त्म हो गया है। मंच पर उन्होंने प्रदीप मिश्रा जी से आशीर्वाद लिया और कहा कि बाबा आपका भोला हैं. हर वाक्य भोले बाबा का पूरा हो जाता है भोले बाबा की कृपा आप पर बनी रहे। शुक्रवार को कथा श्रवण करने के लिए महंत श्याम सुन्दर दास, विधायक राजेश मूणत, रोहित साहू , इंद्रकुमार साहू व रमेश ठाकुर भाजपा पहुंचे हुए थे। अंतिम दिवस की कथा का समय सुबह 8 बजे से 11 बजे तक रहेगी. तपती धूप भगवान शिव के भक्तों को नहीं रोक पर रही है.
आज देर शाम पंडित प्रदीप मिश्रा ने आयोजक पवन खंडेलवाल,विशाल खंडेलवाल, मोनू साहू व विशेष सहयोगी बसंत अग्रवाल सहित परिजनों को अपना आशीर्वाद दिया.
गणेश जी सबके घर में पहले से ही रहते हैं. लेकिन शिवलिंग के रुप में उनका पूरा परिवार विराजमान होता है। एक तरफ गणेश, एक तरफ कार्तिक बीच में बेटी और शिवलिंग के नीचे माता पार्वती विराजमान रहते है। घर के अंदर पीतल का शिविंलग रखना जरुरी है कि नहीं के सवाल पर कहा कि 33 कोटी देवी-देवताओं ने अपने-अपने तरीकों से शिविलिंग का निर्माण किया और उन्हें पूजे हैं. इसलिए मैं यह कहता हूं कि तुम्हारे घर में पीतल, धातु, मिट्टी, चिनी, लकड़ी, पत्थर, पारस के अलावा जैसा भी शिवलिंग है उसे रखकर पूजा करो वे स्वीकार जरुर करते है। मकान बनाने के लिए गारे की जरुरत पड़ती है और भगवान को अपने घर में बसाने के लिए साफ मन की जरुरत पडती हैं.
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हम लोग पृथ्वी पर तो जन्म लिए है लेकिन कई लोगों को यह मालूम ही नहीं हैं कि उनका जन्म किस उद्देश्य के लिए हुआ है। वेदव्यास जी कहते हैं कि बिना किसी कारण के किसी का जन्म नहीं हुआ है इसलिए पृथ्वी का भार उतारने के लिए भगवान राम का जन्म हुआ था और उन्होंने अकेले रावण का ही वध नहीं किया बल्कि इस दौरान बहुत सारे असुरों का विनाश भी किया. भगवान कृष्ण के प्राकट्य का कारण कंस का वध करना था। हम सभी बिना कारण के पैदा हुए ही नहीं हैं. महादेव ने कृपा की है तो कोई कारण होगा तभी इस धरती पर उन्होंने हमें यहां भेजा है। जब हम अपने बेडरुम में कचरा व बेकार सामान नहीं रखते हैं. तो भोलेनाथ किसी को इस धरती में लाए है तो किसी न किसी काम के उद्देश्य को लेकर लाए होंगे। हमारे जन्म का कारण यह है कि हमें मातृभूमि, राष्ट, सत्कर्म करने के साथ परिवार की रक्षा करना है। कुछ अच्छा कार्य करने के लिए हमें मानव का शरीर मिला है. अगर अच्छा कार्य नहीं करते तो यह मानव का शरीर हमें प्राप्त नहीं होता। अपने-अपने कर्म के अनुसार हमें यह मानव का शरीर मिला है।
मन और विचार में कभी मतभेद आने मत देना
शिव महापुराण कथा के अनुसार तुम कभी भी अपने मन और विचार में कभी मतभेद आने मत देना। हमें इस दुनिया में कोई न कोई कार्य करते रहना चाहिए। कभी भी यह मत समझना कि मैं किसी काम का नहीं.
अगर तुम्हारे पास कोई काम नहीं है तो विरान पड़े हुए जगहों पर वृक्ष लगाओ या गौ माता की सेवा करना प्रारंभ कर दो। रचना और बनाने वाला वो है तो उन्होंने व्यर्थ ही किसी को बनाया नहीं होगा और एक दिन तुम्हारी यही सेवा तुम्हें कौन सी नौकरी लगा दे पता नहीं चलेगा। सेवा करो पर गलत संगत में मत पड़ो।
बुजुर्गों को सलाह
पंडित प्रदीप मिश्रा ने बुजुर्गो को सलाह देते हुए कहा कि जब बुजुर्ग फ्री हो जाते थे तो वे गांव में स्थित पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर ताशपत्ती खेलते थे लेकिन इससे उनकी जिंदगी पूरी होने वाली नहीं है। शिवमहापुराण की कथा कहती है कि इस संसार में हमने जन्म लिया है तो कोई न कोई कार्य करते रहना चाहिए। जिस दिन से हमने समय की कीमत जान लिया उस दिन से तुम्हारा श्रेष्ठ समय प्रारंभ हो जाएगा। यहां पर जितने लोग कथा श्रवण करने आए हैं भले ही कथा 1 से 4 बजे तक का है लेकिन वे जानते हैं कि कथा की कीमत क्या है, वे इसलिए यहां मौन और चीत लगाकर बैठे हैं. जिन्हें कथा की कीमत नहीं मालूम वे इसे नहीं जान पाते हैं. आज भी 46 डिग्री तापमान है और दो-तीन घंटे के पहले से शिव भक्त यहां आकर बैठे हैं. क्योंकि तुम लोगों ने अपने समय की कीमत जान लिया। इसलिए माता पार्वती भगवान शंकर से कहती हैं कि जिस दिन आप समय की कीमत जान लोगों उस दिन से आपका अच्छा कार्य समय शुरू हो जाएगा. और इसलिए मैं कहता हूं कि जिस दिन आप सभी समय की कीमत को जान लोगों तुम्हारा कल्याण हो जाएगा।
दुनिया में आपकी बात का स्वीकार नहीं शिकार होता है
इस युग में कोई आपको स्वीकार नहीं करेगा इसलिए तो दुनिया के लोग आपकी बातों का शिकार कर रहे है। द्रोपति को भी उस समय समझ आया जब उसका चीरहरण हो रहा था तो कोई उनकी मदद करने नहीं आया। तब उन्होंने भगवान कृष्ण को याद किया और वे मदद करने आए। भोलेनाथ से प्रार्थना कर रहे हो तो दिल से करो, जल चढ़ा रहे हो तो दिल से चढ़ाओ, यह कभी व्यर्थ नहीं जाएगा, भोलेनाथ तुम्हें एक दिन उसका फल जरुर देंगे। अंत समय में भगवान शंकर ही बेड़ा पार लगाते है। कई लोग आकर तुम्हें कहेंगे कि शंकर का मंदिर मत जाओ, पूजन मत करो, ऐसे लोगों की तुम कभी मत सुनो। इन लोगों की सच्चाई जाननी है तो शिवमहापुराण कथा की एक पुस्तक को पढ़ लेना तुम्हें पता चल जाएगा कि वह सहीं हैं या जो तुम कर रहे हो। इसलिए सत्य को दुनिया के कुछ लोग दबाने का प्रयास काफी सालों से कर रहे हैं, लेकिन सत्य ही रहेगा और मरते दम तक उसे कोई नकार नहीं सकता है।
चिढ़चिढ़ा कर करके लाया हुआ सामान शिव स्वीकार नहीं करते
शिवजी की पूजा पड़ोसन का देखकर मत करना यह गलत बात है। पूजा में पड़ोसन ने क्या-क्या चीज चढ़ाया है यह तुम्हें नहीं मालूम रहता है और अपने पति को वह चीज लाने के लिए कहती हैं तो उस समय पति क्रोधित होकर वे चीज लाने चले जाते हैं. लेकिन वह प्रेम से नहीं लाता है इसलिए भगवान शिव उसे नहीं स्वीकारते है। शिव महापुराण की कथा यह कहती है कि तुम्हारें पास चढ़ाने के लिए काली मिर्च नहीं है तो चांवल का दाना समर्पित कर दो लेकिन चिढ़चिढ़ा कर करके लाया हुआ सामान शिव स्वीकार नहीं करते है।
भोलेनाथ को दिल देने से मिलता हैं करोड़ों की प्रॉपर्टी
पंडित प्रदीप मिश्रा ने आज एक बार फिर युवतियों को सीख देते हुए कहा कि लड़का तुम्हें अपनी प्रेम जाल में फंसाने के लिए यह कहता है कि मैंने तुम्हें नाम का टैटू अपने हाथ में गोदवा लिया है। वह लड़की मुर्ख है, उसे यह कहना चाहिए कि उसके पास जो प्रॉपर्टी है उसे मेरे नाम कर दो, वह एक बार में नाकार देगा क्योंकि उसके पास पेट्रोल डालने के लिए 100 रुपये तक नहीं रहता है। तुम सिर्फ भोलेनाथ से यह कहो कि न हम चांद, सूरज व तारे ला सकते है, हमारे पास कुछ नहीं हैं भोलेनाथ, आप ने हमें जन्म दिया है वह सब आपको समर्पित है और मेरा दिल आपके लिए है और तुम्हें करोड़ों की प्रापर्टी मिल जाएगी।
मंदिर के दीए एकत्र करने से हो जाएगा पितृदोष दूर
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हम जब भी मंदिर जाते हैं तो कहीं पर भी दीए जला देते हैं और उसे वहीं छोड़कर आ जाते है। लेकिन इन छोड़े हुए दीए का महत्व बहुत बड़ा है। शंकर जी का मंदिर हम गए हैं और हमारे पास चढ़ाने के लिए कुछ भी नहीं हैं तो जले हुए दीए जिनका ज्योति विसर्जित हो गया है. उसे एकत्र कर एक जगह रख दें. और भगवान शंकर जी को प्रणाम कर वापस आ जाएं और आपके मस्तिक पर जो पितृदोष था वह दूर हो जाएगा।
मृत बच्चा सोता हैं मां पार्वती की गोद में
छोटे बच्चों का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता हैं उन्हें दफनाया जाता है। इसी तरह रुक्मिणी जी के 8 बच्चे को जमीन पर दफनाया गया था। लेकिन रुक्मिणी जी ने एक अच्छा कार्य किया था वह प्रतिदिन भगवान शिव के मंदिर जाती थी और वहां जले हुए दीयो को एकत्रित करके एक जगह पर रख देती थी। लेकिन आठ पुत्रों के बार-बार निधन होने से वह काफी दुखी थी और रो रही थी और भगवान शिव से वेदना कर रही थी। आंसू चार प्रकार के होते हैं – विडम्बना, वेदना, विरह और वंदना। तब भगवान शिव वहां प्रकट हुए रुक्मिणी से कहा कि जहां पर तुमने अपने आठवें पुत्र को दफनाया हैं वहां पर जाकर फिर से खोदो और तुम्हें वहां तुम्हारा आठवां पुत्र जीवित मिलेगा। इसलिए तो बड़ों को श्मशान घाट में जलाया जाता हैं जहां भगवान शिव रहते हैं और छोटे बच्चों को दफनाया जाता है. वहां वह माँ पार्वती की गोद में सोया रहता है उस स्थान को गौरी कहा जाता है। इसलिए तो कहते हैं देवता पल्ला झाड़ देते है लेकिन महादेव देते है तो छप्पड़ फाड़कर। इसलिए रुक्मिणी के आठवें बेटे का नाम गोराकुमार रखा गया।