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महिलाएं अब घर के चूल्हा-चौका तक सीमित नहीं हैं। वे हर दिन नए-नए आधुनिक कार्यों को सीखकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की दिशा में अग्रसर हो रही हैं। ऐसे ही एक उदाहरण के रूप में बलौदाबाजार विकासखंड के ग्राम लाहोद की रहने वाली निरूपा साहू अब गांव में “ड्रोन वाली दीदी” के नाम से जानी जाती हैं।
ड्रोन ऑपरेटर बनने का सफर
निरूपा साहू का मूल घर ग्राम करदा है, लेकिन वे अपने परिवार के साथ लाहोद में रहती हैं। उनके पति, श्री नकुल प्रसाद साहू, लवन जिला सहकारी सोसायटी में ऑपरेटर के रूप में कार्यरत हैं। निरूपा, जो खुद 12वीं तक पढ़ी हैं, कहती हैं कि उन्हें बचपन से ही कुछ अलग करने का मन था, ताकि वे अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर घर के खर्चों में सहयोग कर सकें। वे वैभव लक्ष्मी स्व-सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। एक दिन कृषि विभाग के अधिकारियों ने ड्रोन चलाने के कार्य के बारे में बताया, जिसमें उन्होंने भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए तुरंत हामी भर दी।
इसके बाद, इफको कंपनी की मदद से उन्हें “नमो ड्रोन दीदी” की ट्रेनिंग लेने के लिए ग्वालियर इंस्टीट्यूट भेजा गया, जहाँ उन्हें 15 दिन की ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिंग के बाद उन्हें आरपीसी लाइसेंस मिला और वे अपने गांव वापस आकर “ड्रोन दीदी” के रूप में काम करने लगीं।
किसानों को मिल रहा सीधा लाभ
निरूपा साहू ने अप्रैल से ड्रोन के माध्यम से किसानों के खेतों में दवाइयों का छिड़काव शुरू किया है। वे 300 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से चार्ज करती हैं और अब तक लगभग 80 एकड़ खेत में ड्रोन से दवाई छिड़काव कर चुकी हैं, जिससे उन्हें 25,000 रुपये की आमदनी हुई है। ड्रोन का इस्तेमाल केवल निरूपा के लिए ही नहीं, बल्कि किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहा है। किसान परमेश्वर वर्मा कहते हैं कि पहले स्प्रेयर से दवाई छिड़काव में ज्यादा समय और खर्च लगता था, लेकिन ड्रोन के माध्यम से यह काम चंद मिनटों में पूरा हो जाता है और दवाइयों का बेहतर छिड़काव भी होता है।
“नमो ड्रोन दीदी” योजना के तहत महिलाओं के लिए आजीविका के नए अवसर
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा “नमो ड्रोन दीदी” योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत आने वाले चार वर्षों में 15,000 स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे। कृषि क्षेत्र में उर्वरकों का छिड़काव, फसलों में खाद डालना, फसल वृद्धि की निगरानी करना, बीज बोना आदि के लिए ड्रोन चलाने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कौशल प्रदान कर महिलाओं के लिए आजीविका के नए अवसर पैदा किए जा सकें।
निरूपा साहू जैसी महिलाओं के साहस और प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव की एक नई लहर आई है, जो न सिर्फ उन्हें आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही है।