रायपुर – दीपावली के त्यौहार से पहले तिल्दा निवासी 59 वर्षीय अनिल कुमार यादव के लिए एक अनमोल तोहफा उनके जीवन में आया जब उनकी बेटी वंदना यादव राठी ने अपने पिता को नया जीवनदान दिया। वंदना ने 6 अक्टूबर को अपना पार्शियल लीवर खुशी-खुशी डोनेट कर पिता को लीवर सिरहोसिस जैसी जानलेवा बीमारी से बचाया।
अनिल कुमार यादव पिछले वर्ष से गंभीर लीवर समस्याओं से जूझ रहे थे, जिसके चलते उन्हें बार-बार पीलिया और खून की उल्टियां होने लगी थीं। श्री नारायणा हॉस्पिटल के लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. हितेश दुबे ने जांच के बाद पाया कि उनका लीवर फेल हो चुका है और उनकी जान बचाने का एकमात्र तरीका लीवर ट्रांसप्लांट था।
6 अक्टूबर को अस्पताल में 12 घंटे चली सर्जरी में, लीवर ट्रांसप्लांट विशेषज्ञों की टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस सर्जरी में वंदना ने अपना आंशिक लीवर दान कर अपने पिता को नया जीवन दिया।
हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने बताया कि लीवर सिरहोसिस जैसी गंभीर बीमारियों का एकमात्र स्थायी इलाज लीवर ट्रांसप्लांट है, और छत्तीसगढ़ अब इस दिशा में चिकित्सा के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है।
श्री नारायणा हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. सुनील खेमका ने भी बताया कि भविष्य में लीवर और किडनी ट्रांसप्लांट के साथ-साथ कैडवरिक लिंब और हार्ट ट्रांसप्लांट जैसी जटिल सर्जरियां भी राज्य में की जाएंगी, जिससे छत्तीसगढ़ एक प्रमुख मेडिकल टूरिज्म हब बनने की दिशा में अग्रसर है।