रायपुर: शराब घोटाले के मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को सात दिन की रिमांड पूरी होने के बाद कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, जिसके तहत वे 4 फरवरी तक जेल में रहेंगे।
2,161 करोड़ रुपये का घोटाला
सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 2,161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में कवासी लखमा की संलिप्तता पाई गई है। आरोप है कि उन्हें इस घोटाले में 72 करोड़ रुपये मिले और हर महीने 2 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में दिए जाते थे। ईडी ने कवासी लखमा को गिरफ्तार करने के बाद उनकी वित्तीय गतिविधियों और लेन-देन की गहन जांच की।
‘मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं’: कवासी लखमा का बयान
कोर्ट से बाहर आते हुए कवासी लखमा ने कहा, “सरकार आदिवासियों की आवाज को दबा रही है। डबल इंजन सरकार आदिवासियों को जेल में डाल रही है। जो हो रहा है, वह गलत है।” उन्होंने आगे कहा, “मेरे घर से एक रुपया भी नहीं मिला। मैं छह बार विधायक चुना गया हूं और मैंने विधानसभा में जनता के मुद्दे उठाए हैं। मेरी लड़ाई अंतिम सांस तक जारी रहेगी।”
ढांड को बताया घोटाले का सरगना
ईडी की जांच में सेवानिवृत्त मुख्य सचिव विवेक ढांड का नाम भी सामने आया है। रिमांड नोट के अनुसार, ढांड को इस घोटाले का सरगना बताया गया है। उनके निर्देशन में अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर, और एपी त्रिपाठी जैसे अहम किरदार काम कर रहे थे।
कमीशन और मनी ट्रेल का खुलासा
जांच में सामने आया कि शराब की कीमतों में सिंडीकेट द्वारा हेराफेरी की गई। पहले 560 रुपये में सप्लाई की जाने वाली शराब को 2,880 रुपये की एमआरपी पर बेचा गया और बाद में इसे बढ़ाकर 3,840 रुपये कर दिया गया।
- 560-600 रुपये प्रति पेटी सप्लायरों को दिए जाते थे।
- 150 रुपये प्रति पेटी 15 जिलों के 20 अफसरों में बांटा जाता था।
- बाकी रकम अनवर ढेबर के पास जाती, जिसमें से 15% हिस्सा अनिल टुटेजा और एपी त्रिपाठी को दिया जाता था।
115 करोड़ रुपये की कमाई
चार साल (2019-2023) के दौरान इस घोटाले से 15 जिलों के अफसरों ने 115 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई की। ईडी ने कवासी लखमा और उनसे जुड़े अन्य व्यक्तियों से पूछताछ के लिए सबूत जुटाए हैं।
पैसा पहुंचाने वालों पर शिकंजा
ईडी ने लखमा तक पैसे पहुंचाने वाले कन्हैयालाल कुर्रे, जगन्नाथ उर्फ जग्गू, और जयंत देवांगन को पूछताछ के लिए तलब किया है। इसके साथ ही उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट सुशील ओझा और ठेकेदार रामभुवन भदौरिया को भी जांच के दायरे में लाया गया है।
शराब घोटाले ने मचाई सियासी हलचल
शराब घोटाले में हुए बड़े खुलासे ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। ईडी की जांच के अनुसार, यह घोटाला एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है। आने वाले दिनों में और भी कई नाम सामने आ सकते हैं।
इस मामले ने राज्य की राजनीति को हिला कर रख दिया है, और इसका प्रभाव आगामी दिनों में और गहराने की संभावना है।