रायपुर। भाजपा प्रवक्ता अजय चंद्राकर द्वारा राज्य में प्रस्तावित पेसा कानून के संबंध में दिये गये बयान को कांग्रेस ने भाजपा की बौखलाहट बताया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रदेश में 15 साल तक भाजपा की सरकार थी, अजय चंद्राकर स्वयं उस सरकार में प्रभावशाली मंत्री थे। भाजपा सरकार ने वनवासियों के लिये पेसा कानून क्यों नहीं लागू किया? कभी इस पर ठोस कदम क्यों नहीं उठाया? कांग्रेस की सरकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य की 32 फीसदी आबादी आदिवासियों को अधिकार संपन्न बनाने पेसा कानून लागू कर रहे तो इससे भाजपा नेता गलत बयानी कर अपनी खीझ निकाल रहे है। रमन भाजपा की सरकार ने आदिवासी वर्ग के जमीनों पर कब्जा करने के लिये भू-संशोधन विधेयक पारिया किया था जिसका कांग्रेस पार्टी ने पुरजोर विरोध किया तब कहीं जाकर भू-संशोधन विधेयक को भाजपा की सरकार ने वापस लिया था।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि अजय चंद्राकर तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिये घड़ियाली आंसू बहाना बंद करे। भाजपा सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों का शोषण करती थी, रमन राज में तेंदूपत्ता संग्राहकों को प्रति मानक बोरा मात्र 2500 रू. मिलता था, कांग्रेस की सरकार ने इसे बढ़ाकर 4000 रू. कर दिया। भाजपा सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका के नाम पर उनसे ज्यादा पैसे लेकर कमीशनखोरी करती थी, संग्राहक अपने ही पैसे देकर भी अपने पसंद के चप्पल नहीं खरीद सकते थे। कांग्रेस सरकार ने कमीशनखोरी वाली योजना पर विराम लगाया। 65 वनोपज की समर्थन मूल्य में खरीदी कर रही है। देश में कुल खरीदी की गई वनोपज में छत्तीसगढ़ की भागीदारी लगभग 80 प्रतिशत है। 15 साल में इतनी मात्रा में वनोपज की खरीदी और संग्रहण क्यों नहीं हुआ, इसका जवाब भाजपा को देना चाहिये।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा हमेशा से आदिवासियों की शोषक रही है। लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की अधिग्रहित जमीनों को रमन सरकार ने लैड बनाकर जप्त किया था, कांग्रेस सरकार ने उसे वापस किया। 15 सालों तक साढ़े पांच लाख से अधिक वन अधिकार पट्टों को लंबित रखा था? बस्तर में हजारों आदिवासियों को नक्सली बताकर अजय चंद्राकर की सरकार ने वर्षों से जेलों में बंद रखा था, कांग्रेस की सरकार ने उनकी रिहाई शुरू करवाया। बस्तर में 400 से अधिक स्कूल भाजपा सरकार ने बंद कर दिया था। बस्तर में लोग डायरिया, मलेरिया से मरते रहे, अजय चंद्राकर स्वास्थ्य मंत्री थे कभी आदिवासियों के स्वास्थ्य का ख्याल नहीं आया। आज बस्तर में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली की सुविधायें बहाल हुई है। बस्तर कनिष्ठ चयन बोर्ड का गठन किया गया, डेनिक्स के माध्यम से बस्तर के लोगों के सपनों में नई उड़ान आई है। आदिवासियों के संबंध में उनके अधिकारों के संबंध में कुछ भी बोलने के पहले समूची भाजपा को छत्तीसगढ़ के 32 प्रतिशत आदिवासी समाज से माफी मांगनी चाहिये। भाजपा के 15 सालों में छत्तीसगढ़ के आदिवासी ठगे गये, उनकी प्रगति को रोकने का षड़यंत्र रचा गया था।