उत्तराखंड की धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने का फैसला किया है। इस पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध जताते हुए कहा कि UCC केवल मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए लाया जा रहा है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ मुस्लिम नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन ने ओवैसी के आरोपों को खारिज कर दिया।
‘UCC मुसलमानों के खिलाफ नहीं’
शाहनवाज हुसैन ने कहा कि समान नागरिक संहिता मुसलमानों के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह विवाह सुधार के लिए लाई जा रही है। उन्होंने कहा कि संविधान के तहत क्रिमिनल लॉ को सभी मानते हैं, लेकिन सिविल लॉ में समानता की बात होने पर कुछ लोगों को आपत्ति होती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जो मुसलमान यूरोप, इंग्लैंड या गोवा में रहते हैं, वे वहां के सिविल लॉ को मानते हैं, तो भारत में इसका विरोध क्यों हो रहा है?
‘मुसलमानों को परेशान करने का कोई इरादा नहीं’
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में शाहनवाज हुसैन ने स्पष्ट किया कि इस कानून का उद्देश्य मुसलमानों को तंग करना नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने भी विवाह सुधार और समान नागरिक संहिता की जरूरत पर बल दिया था। यह कानून सभी के लिए बराबरी और न्याय सुनिश्चित करने के लिए है।
‘बांग्लादेशी और रोहिंग्या देश के लिए खतरा’
दिल्ली में अवैध घुसपैठियों के मुद्दे पर शाहनवाज हुसैन ने कहा कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए देश के लिए बड़ा खतरा हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग भारत में आकर गरीबों के अधिकार छीनते हैं। भारत कोई धर्मशाला नहीं है कि कोई भी यहां आकर बस जाए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार देश के गरीबों के उत्थान के लिए काम कर रही है, लेकिन अवैध घुसपैठिए उन योजनाओं का दुरुपयोग करते हैं।
‘घुसपैठ पर सख्त कार्रवाई जरूरी’
हुसैन ने कहा कि घुसपैठिए देश की सुरक्षा और संसाधनों के लिए खतरा हैं। बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि देश के नागरिकों के अधिकार सुरक्षित रहें।