भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों का मोह हो रहा भंग, जनवरी में अब तक निकाले 64,156 करोड़ रुपये

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शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) लगातार भारतीय शेयर बाजार से अपना पैसा निकाल रहे हैं। जनवरी 2025 में भी यह रुख जारी रहा और विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी बाजारों से 64,000 करोड़ रुपये की भारी निकासी की है।


एफपीआई की लगातार बिकवाली

भारतीय इक्विटी बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की बेरुखी बरकरार है। जनवरी में अब तक 64,156 करोड़ रुपये की निकासी हो चुकी है। इसके प्रमुख कारण रुपये का अवमूल्यन, अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी और कमजोर तिमाही नतीजे हैं।

डिपॉजिटरी के आंकड़े बताते हैं कि जहां दिसंबर 2024 में एफपीआई ने भारतीय बाजार में 15,446 करोड़ रुपये का निवेश किया था, वहीं जनवरी में यह रुख पूरी तरह से उलट गया।


विशेषज्ञों की राय

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स इंडिया के संयुक्त निदेशक और शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, भारतीय रुपये की गिरावट विदेशी निवेशकों पर दबाव डाल रही है, जिसके चलते वे इक्विटी बाजारों से दूरी बना रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हाल की गिरावट, अपेक्षाकृत कमजोर तिमाही नतीजों और आर्थिक प्रतिकूलताओं के बावजूद भारतीय बाजार का उच्च मूल्यांकन निवेशकों को सतर्क कर रहा है। इसके अलावा, वैश्विक अनिश्चितताओं और अप्रत्याशित नीतियों ने जोखिम लेने की प्रवृत्ति को और कमजोर किया है।”


डॉलर और बॉन्ड प्रतिफल का असर

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने बताया कि डॉलर की मजबूती और अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी एफआईआई की बिकवाली को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारण हैं।
उन्होंने कहा, “जब तक डॉलर सूचकांक 108 से ऊपर रहेगा और 10-वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल 4.5% से अधिक रहेगा, भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली का यह सिलसिला जारी रहने की संभावना है।”


विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव

  • वित्तीय क्षेत्र: एफपीआई की बिकवाली का सबसे ज्यादा असर वित्तीय क्षेत्र पर पड़ रहा है।
  • आईटी क्षेत्र: दूसरी ओर, आईटी सेक्टर में कुछ खरीदारी देखने को मिली है।

बिकवाली का सिलसिला जारी

आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने 24 जनवरी तक भारतीय इक्विटी बाजार से लगभग हर दिन बिकवाली की, केवल 2 जनवरी को यह सिलसिला रुका। इस तरह, विदेशी निवेशकों की सतर्कता और बिकवाली भारतीय बाजार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

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