महाकुंभ में गुरुवार को पीएम मोदी के नाम एक चिट्ठी लिखी गई. यह चिट्ठी खून से लिखी गई. इसमें पीएम मोदी से बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं की रक्षा के लिए सैन्य कार्रवाई करने की मांग की गई. यह चिट्ठी किसी आम आदमी या संत ने नहीं बल्कि जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद ने लिखी. अब वह अपनी इस चिट्ठी पर अन्य संतों के हस्ताक्षर ले रहे हैं ताकि बड़े समर्थन के साथ इस चिट्ठी की बात वह पीएम मोदी तक पहुंचा सके.
वैसे यति नरसिंहानंद का नाम पहली बार खबरों में नहीं आ रहा है. वह आए दिन विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में बने रहते हैं. इसी महाकुंभ में उन्होंने हिंदू राष्ट्र की मांग करते हुए मुस्लिमों के खिलाफ कई बातें कही थीं. उन्होंने मुस्लिम आबादी लगातार बढ़ने का दावा करते हुए कहा था कि अगर स्थिति नहीं बदली तो 2035 तक भारत का प्रधानमंत्री भी कोई मुस्लिम बन जाएगा और फिर वह अगले 20 सालों में 50 प्रतिशत हिंदुओं का धर्मांतरण करवा देगा. उन्होंने हिंदुओं से 4-5 बच्चे पैदा करने की भी अपील की थी और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद के बारे में भी अनाप-शनाप बयान दिए थे.
दो महीने पहले ही वह पैगंबर हजरत मुहम्मद के खिलाफ भी विवादित टिप्पणी कर चुके हैं, जिसे लेकर बवाल भी मचा था. महिलाओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणियों के कारण तो उन पर एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है. कुल मिलाकर यति नरसिंहानंद का विवादों से पुराना नाता रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं लगातार ऐसे बयान देने वाला यह शख्स विदेशों में पढ़ा है और नौकरी भी कर चुका है. आइये बताते हैं कौन हैं यति नरसिंहानंद…
मास्को में पढ़े, ब्रिटेन में काम किया
यति नरसिंहानंद का वास्तविक नाम दीपक त्यागी है. वह एक इंजीनियर रहे हैं. उन्होंने रूस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और ब्रिटेन समेत कुछ अन्य देशों में काम भी किया. इसके बाद वह भारत लौट आए. देश वापस आने के बाद वह पहले समाजवादी पार्टी से जुड़े और फिर संतों वाली राह पकड़ ली.
अब वह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के डासना शिवशक्ति धाम के महंत हैं. वह करीब 20 सालों से इस मंदिर से जुड़े हुए हैं. पहले उन्होंने अपना नाम दीपेंद्र नारायण सिंह किया और फिर वह वह यति नरसिंहानंद हो गए.
पत्नी और बेटी साथ नहीं रहती
वह ‘हिंदू स्वाभिमान’ नाम की एक संस्था चलाते हैं. हिंदू युवाओं को आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से वह ‘धर्म सेना’ नामक संगठन का भी संचालन करते हैं. 2021 में जूना अखाड़ा ने उन्हें महामंडलेश्वर बनाया था.
यति नरसिंहानंद के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे. नरसिंहानंद के चार भाई-बहन भी हैं. यति नरसिंहानंद की शादी हो चुकी है और उनकी बेटी भी है लेकिन वे अपनी पत्नी और बेटी से अलग रहते हैं.