रायपुर। कांग्रेस ने राज्यपाल से आरक्षण संशोधन विधेयक पर अविलंब हस्ताक्षर का आग्रह किया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा आरक्षण संशोधन विधेयक पर अपना मत स्पष्ट करे, भाजपा के नेता विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं होने पर जिस प्रकार बयान दे रहे उन बयानों के निहितार्थ छत्तीसगढ़ का हर नागरिक समझ रहा तथा भाजपा की बदनीयती भी सामने आ रही है।
विधानसभा में भी भाजपा द्वारा विधेयक को प्रस्तुत करते समय अड़ंगा लगाने के लिये हो-हल्ला मचाया था। कांग्रेस सरकार ने आरक्षण के लिये विधेयक पास करवा कर अपनी नीयत और मंशा साफ कर दी है, अब विलंब होता है तो इसका जवाब भाजपा को देना होगा। भाजपा के वरिष्ठ नेता राजभवन जाकर विधेयक पर शीघ्र हस्ताक्षर के लिये क्यों नहीं कहते?
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जिस विधेयक को लाने के लिये विशेष सत्र बुलाने की सहमति राज्यपाल की भी थी तथा उन्होंने उसी दिन हस्ताक्षर की बात कही थी फिर इसमें विलंब क्यों हो रहा है?
राजभवन द्वारा आरक्षण संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करने में विलंब करने में अनेक कुशंकाओं का जन्म हो रहा है। आरक्षण संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित हो गया तो राजभवन को तत्काल हस्ताक्षर कर देना चाहिये। राजभवन में इसके पहले भी जब कृषि संशोधन विधेयक पारित हुआ था तब भी हस्ताक्षर करने में विलंब हुआ था।
इस देरी से गलत संदेश जनता के बीच जा रहा जो राजभवन की गरिमा के विपरीत है। आरक्षण संशोधन विधेयक छत्तीसगढ़ के 32 फीसदी आबादी के हितों का सवाल हैं। छत्तीसगढ़ के ओबीसी वर्ग के हितों का सवाल है। छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति वर्ग एवं अनारक्षित वर्ग के गरीबों के हितो का सवाल है। 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। इसमें राजभवन को तत्काल हस्ताक्षर करना चाहिये।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि विधानसभा ने पूर्ण बहुमत एवं ध्वनि मत से विधेयक को पारित किया है। आरक्षण संशोधन विधेयक सभी पहलुओं को देखने के बाद ही विधानसभा में लाया गया था तथा विधेयक लाने के तार्किक आधार को सरकार ने एकत्रित किया है।
पिछड़ा वर्ग की आबादी के लिये क्वांटी फायबल डाटा आयोग गठित किया गया अनुसचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की आबादी के जनगणना के आंकड़ो के आधार पर तथा ईडब्लूएस आरक्षण लोकसभा में पारित कानून के आधार पर लाया गया है। यह विधेयक पूरी तरीके से कानून सम्मत एवं तर्क सम्मत विधेयक है। इसमें तत्काल हस्ताक्षर होना चाहिये।