कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह,
कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि डीपीआईआईटी द्वारा नेशनल ट्रेड पॉलिसी के ड्राफ्ट को विभिन्न मंत्रालयों को भेजे जाने के कदम का कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने स्वागत किया है और कहा है की इससे निश्चित रूप से भारत के खुदरा व्यापार में काफी बढ़ोतरी होगी।
कैट एक लंबे समय से इस मांग को जोरदार तरीके से हर फोरम पर उठाता रहा है। कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने कहा की इस पॉलिसी में एक विशिष्ट प्रावधान होना चाहिए जिसके अंतर्गत केवल रिटेल व्यापार के केवल 20 प्रतिशत तक के हिस्से को ही ऑनलाइन द्वारा बेचे जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा की इस पॉलिसी को लागू करने से पहले व्यापारियों को विश्वास में लिया जाना बेहद जरूरी है।
पारवानी और दोशी ने कहा कि भारतीय रिटेल बाजार सालाना 130 लाख करोड़ रुपये का है जो हर साल 10 प्रतिशत से बढ़ता है लेकिन दुर्भाग्य से भारत में अर्थव्यवस्था के सभी वर्गों के लिए मंत्रालय भी है और पॉलिसी भी किन्तु विशालकाय भारतीय रिटेल व्यापार के लिए न कोई मंत्रालय है एवं न कोई पॉलिसी। इसलिए राष्ट्रीय खुदरा व्यापार नीति देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए एक बूस्टर साबित होगी।
यह जानना भी जरूरी है कि देश के रिटेल व्यापार में लगभग 80 प्रतिशत खुदरा व्यापार पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं अर्थात गैर कॉर्पोरेट खुदरा क्षेत्र, कॉर्पोरेट खुदरा द्वारा लगभग 10 प्रतिशत, ई-कॉमर्स द्वारा लगभग 7 प्रतिशत और प्रत्यक्ष बिक्री द्वारा लगभग 3 प्रतिशत का हिस्सा है।
पारवानी और दोशी ने कहा कि ई-कॉमर्स नीति और ई-कॉमर्स व्यापार के लिए नियमों के अभाव में नेशनल ट्रेड पॉलिसी एक अधूरी कवायद साबित होगी जो केवल आंशिक रूप से लाभकारी होगी। रिटेल व्यापार में चार वर्ग -कॉरपोरेट रिटेल, गैर-कॉरपोरेट रिटेल, ई-कॉमर्स और डायरेक्ट सेलिंग हैं और इसलिए एक सशक्त एवं सभी मायनों में पूर्ण नेशनल रिटेल ट्रेड पॉलिसी लागू होनी चाहिए जिसके अंतर्गत सभी चारों वर्ग आपसी सहभागिता के साथ काम कर सकें और एक-दूसरे के व्यापार को हानि न पहुंचाएं।
पारवानी एवं दोशी ने कहा कि कैट ने पूर्व में नेशनल ट्रेड पॉलिसी में शामिल करने के लिए डीपीआईआईटी को कुछ सुझाव भेजे थे जिसमें भारत में रिटेल व्यापार करने के लिए परिभाषित मापदंड रखने का सुझाव दिया गया था वहीं पॉलिसी के अंतर्गत व्यापारियों को आसानी से वित्तीय सहायता
,रिटेल व्यापार पर लागू सभी कानूनों एवं नियमों की समीक्षा तथा जो कानून अप्रासंगिक हो गए हैं उनको निरस्त किया जाना, वन नेशन-वन टैक्स की तर्ज पर वन नेशन-वन लाइसेंस को लागू करना, व्यापारियों के लिए क्रेडिट रेटिंग मानदंडों को फिर से परिभाषित करना, मौजूदा व्यापारिक फॉर्मेट को आधुनिक एवं कम्प्यूटरीकृत करने हेतु सरकारी सहायता नीति, व्यापारियों के लिए पेंशन और बीमा, किसी भी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित व्यापारियों को मुआवजा देना, महिला उद्यमियों और व्यापारिक परिवारों के युवाओं को व्यापार एवं उद्योग हेतु सशक्त बनाने के लिए विशेष नीति आदि का विवरण पॉलिसी में शामिल करना चाहिए।