कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि आज नई दिल्ली में ई-कॉमर्स पर आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) सहित ट्रांसपोर्ट, लघु उद्योग, होटल और रेस्तरां, ट्रेवल, मोबाइल, एफएमसीजी, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक्स, हॉकर्स, डायरेक्ट सेलिंग, कंप्यूटर मीडिया, ज्वैलर्स और अन्य वर्गों के राष्ट्रीय संगठनों ने एकजुट होकर विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों पर न केवल ई-कॉमर्स बल्कि भारत के रिटेल व्यापार को भी विकृत करने के लिए बड़ा हल्ला बोलते हुए एक “स्टेकहोल्डर्स ई-कॉमर्स दिल्ली डिक्लेरेशन“ जारी किया जिसमें 5 सूत्र घोषित करते हुए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से घरेलू व्यापारियों को विदेशी कंपनियों के शातिर चंगुल से बचाने की जोरदार मांग की गई।
कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने बताया कि सम्मेलन में भाग लेने वाले संगठनों ने एक “भारत बचाओ-व्यापार बचाओ मंच“ का गठन किया है जो देश भर में फैले फेडरेशन, एसोसिएशन, चैम्बर एवं अन्य प्रमुख संगठनों से संपर्क कर अपने चार्टर के लिए समर्थन जुटाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया की ई-कॉमर्स और देश के घरेलू व्यापार के मुद्दे पर अब चुप नहीं बैठ जाएगा और जब तक सरकारें हमारे 5 सूत्र को अमली जामा नहीं पहनाती हैं तब तक देश भर में एक बड़ा आंदोलन जारी रहेगा।
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने बताया कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा लगातार नीति एवं नियमों के खिलाफ व्यापार करने हेतु कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए ऑफलाइन व्यापार के नेताओं ने केंद्र सरकार से देश के रिटेल व्यापार को सुरक्षित रखने के लिए ई-कॉमर्स नीति और राष्ट्रीय रिटेल व्यापार नीति को तुरंत लागू करने की जोरदार मांग की।
सम्मेलन में शामिल नेताओं ने एक स्वर से कहा की दुनिया भर में इन विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को अभ्यस्त अपराधियों के रूप में जाना जाता है जिन्हे विभिन्न देशों ने उनकी कुटिल नीति के कारण दंडित भी किया हुआ है लेकिन यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में इन कंपनियों को खुली छूट प्राप्त है।
पारवानी एवं दोशी ने आगे बताया कि सम्मेलन में शामिल नेताओं ने सर्वसम्मति से एक 5 सूत्रीय ई-कॉमर्स चार्टर जारी करते हुए इसे “दिल्ली घोषणा चार्टर का नाम दिया जिसमें अविलम्ब एक ई-कॉमर्स नीति घोषित करने की मांग की गई जिसमें अनिवार्य रूप से ट्राई, सेबी और इरडा आदि के समान एक सशक्त रेगुलेटरी अथॉरिटी के गठन का प्रावधान होना चाहिए। रिटेल व्यापार के लिए एक राष्ट्रीय व्यापार नीति की तुरंत घोषणा की जानी चाहिए क्योंकि ई-कॉमर्स का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रिटेल व्यापार पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स नियम तत्काल जारी किए जाएं। एफडीआई नीति के प्रेस नोट 2 के स्थान पर एक नया प्रेस नोट भी तुरंत जारी किया जाएं। ज्ञातव्य है की यह सभी मुद्दे पिछले तीन वर्षों से सरकार के पास लंबित हैं जो सीधे रूप से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के इज़ ऑफ़ डूइंग बिजनिस के सिद्धांत के विरूद्ध है।
पारवानी एवं दोशी ने बताया कि सम्मेलन में ई-कॉमर्स के मुद्दे पर व्यापक चर्चा में यह निर्णय किया गया की ई-कॉमर्स पॉलिसी में अनिवार्य रूप से कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों को अवश्य शामिल किया जाए जिसमें विदेशी या भारतीय ई पोर्टल पर उससे संबंधित कंपनियां पंजीकृत नहीं होनी चाहिए। ई-पोर्टल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी विक्रेता की इन्वेंट्री को नियंत्रित नहीं करेगी।
ई पोर्टल को अपने पंजीकृत विक्रेताओं के लिए थोक विक्रेता के रूप में कार्य नहीं करना चाहिए। ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने ही ब्रांड का माल अपने ही पोर्टल पर बेचने की आजादी नहीं होनी चाहिए। ई-कॉमर्स कंपनियों को अपनी ही कंपनियों को अपने ही प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत करके और उन्हें 25 प्रतिशत माल बेचने की अनुमति देकर प्रेस नंबर 2 में एफडीआई नीति के प्रावधानों का गलत फायदा उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
पारवानी एवं दोशी ने कहा कि इसके अलावा ई-कॉमर्स पॉलिसी में किसी भी ई-पोर्टल को वस्तु-सूची-आधारित ई-कॉमर्स के रूप में कार्य करने की इजाजत न हो वहाँ कोई भी ई- कॉमर्स कम्पनी किसी तीसरे पक्ष के विक्रेता को पंजीकृत नहीं करेगी।
हर ई-कॉमर्स कम्पनी अपने पोर्टल पर पंजीकृत सभी विक्रेताओं को एक समान सेवाएं प्रदान करे तथा उपभोक्ताओं के लिए पूर्ण रूप से तटस्थ रहे। बैंकों को ऑनलाइन खरीदी पर चुनिंदा ऑफर/कैशबैक प्रदान करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ई-कॉमर्स कंपनियों को विक्रेताओं को पंजीकृत करने से पहले उनको समुचित जांच करनी अनिवार्य हो ताकि वे अवैध उत्पादों की बिक्री ता क़ानून का उल्लंघन यदि करें तो उनकी पहचान की जा सके ।
प्रत्येक ई-कॉमर्स कम्पनी को अपने यहाँ शिकायत अधिकारी, नोडल अधिकारी और अनुपालन अधिकारी के बारे में पूरा विवरण प्रकाशित करना जरूरी होना चाहिए। ई-कॉमर्स कम्पनी द्वारा अपने पोर्टल पर प्रत्येक उत्पाद के मूल देश के साथ-साथ प्रत्येक विक्रेता का पूरा विवरण स्पष्ट दिखाई देना भी आवश्यक हो वहीँ डेटा सुरक्षा को भी नीति में शामिल किया जाना चाहिए।
कैट के अलावा सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य संगठनों में इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन,नेशनल रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया, इंडियन डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन, कंप्यूटर मीडिया डीलर्स एसोसिएशन एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम, फेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल एंड माइक्रो एंटरप्राइजेज, नेशनल हॉकर्स फेडरेशन,साउथ इंडिया ऑर्गेनाइज्ड रिटेलर्स एसोसिएशन, इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज,ऑल इंडिया टूर्स एंड ट्रैवल ऑपरेटर्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया टॉयज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन, नेशनल फार्मर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया एफएमसीजी डीलर्स एसोसिएशन,ऑल इंडिया टी प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया फुटवियर डीलर्स एसोसिएशन, इंडियन पेंट्स एंड कोटिंग एसोसिएशन, ऑल इंडिया फूड ग्रेन डीलर्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया पल्स डीलर्स एसोसिएशन और कई अन्य प्रमुख संगठन शामिल हुए।
पारवानी एवं दोशी ने इस बात पर गहरा खेद व्यक्त किया कि वैश्विक ई-टेलर्स, ब्रांड की मालिक कंपनियों और बैंकों की एक अपवित्र तिकड़ी छोटे व्यापारियों को मारने के लिए सरकार की नाक के नीचे ई-कॉमर्स में सांठगांठ करते हुए काम कर रही है लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
ब्रांड की मालिक कंपनियां ई-पोर्टल पर एकल बिक्री के लिए ई-पोर्टल को कुछ सामान उपलब्ध करा रही हैं, जबकि बैंक विशेष रूप से ऑनलाइन खरीदारी पर कैशबैक और अन्य आकर्षक योजनाएं दे रहे हैं। ये दोनों कृत्य एफडीआई नीति के प्रेस नोट नंबर 2 का घोर उल्लंघन हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस घिनौनी तिकड़ी पर तत्काल संज्ञान लिया जाए और घरेलू व्यापार को इनके नापाक हाथों से बचाया जाए।