कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने ईडी की छापामार कार्रवाई को सुनियोजित राजनैतिक षड़यंत्र बताया है। ईडी की कार्रवाई भ्रम पैदा करने और कांग्रेस सरकार की छवि खराब करने के लिए है। केंद्र सरकार के इशारे पर ईडी गैर भाजपा शासित राज्यों में भय पैदा करने के लिये लगातार छापेमारी की कार्यवाही कर विपक्षी सरकारों को बदनाम करने का काम कर रही है। कांग्रेस ईडी की इस प्रकार की कार्रवाई से डरने वाली नहीं है। ईडी झूठे गवाहों को खड़ाकर लोगों पर दबाव डालकर झूठा बयान दिलवाया जाता है। ईडी जिन लोगों से पूछताछ कर रही है, उन्हें थर्ड डिग्री टार्चर करके बयान दिलवाए जा रहे हैं। जिसे आप मारेंगे-पीटेंगे और अपने केस को मजबूत करने के लिए बयान दिलवाएंगे उसकी बात क्या अहमियत है? ऐसे काल्पनिक बयानों के आधार पर कार्यवाही सिर्फ सनसनी फैलाने के लिये है। लोगों को धमका कर झूठे बयान दिलवाकर कांग्रेस नेताओं को टारगेट किया जा रहा। हमने पहले भी कहा था कि ईडी द्वारा डरा धमकाकर बयान दिलवाए जा रहे हैं। ऐसे में ये पूरी कार्रवाई सवालों के घेरे में है।
कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कुछ माह पूर्व रायपुर के एक थाने में ईडी द्वारा प्रताड़ित निखिल चंद्राकर द्वारा शिकायत भी की गई थी जिसमें उसने कहा था कि ईडी के अधिकारियों द्वारा मारपीट कर प्रताड़ित कर जबरदस्ती बयान दिलवाया जा रहा है। निखिल ने अपनी शिकायत में कहा था कि उससे दवाबपूर्वक बैक डेट के कोरे कागज में साइन कराए गए थे। उसने ये भी शिकायत में लिखा था कि अधिकारियों द्वारा धमकाकर कांग्रेस नेताओं के नाम लेने को कहा गया था और 70 से 80 पन्नों में डरा-धमकाकर साइन लिए गए थे। अब उसी के बयान के आधार पर छापे मारे जा रहे हैं। ऐसे में ये कार्रवाई कहां तक पारदर्शी है। आप किसी को मारपीट कर कुछ भी बयान दिलवा सकते हैं । किसी के कुछ कह देने भर से कोई दोषी होता है क्या। आज ईडी ने जो छापे मारे हैं उसका आधार क्या है उनके पास।
कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि निखिल जैसे लोगों से धमका कर लिये गये बयानों को आधार बना कर ईडी की कार्यप्रणाली की जांच होनी चाहिये।