लोकसभा चुनाव की तिथि तय होने के साथ कोरबा क्षेत्र सबसे अधिक चर्चा में है,दरअसल यहां मुकाबला त्रिकोणी बन गया है। कांग्रेस पार्टी से डाॅ. ज्योत्सना महंत और भाजपा की दिग्गज सरोज पांडेय के बाद यदि कोरबा में तीसरा नाम चर्चा में है तो वह भारतीय जनता सेक्युलर पार्टी से सुशील विश्वकर्मा का नाम है। कोरबा लोकसभा क्षेत्र में बदलाव की बयार है। जनता का रूझान किसी तीसरे पक्ष की ओर हो जाए तो कहा नहीं जा सकता है! क्योंकि सुशील विश्वकर्मा को लेकर जनमानस में सकारात्मक लहर है। सर्वेक्षण में भी आम चैक-चैराहों में सुशील विश्वकर्मा का नाम जनता की जुबान पर है। जितनी तेजी के साथ श्री विश्वकर्मा ने कोरबा क्षेत्र में अपना नाम स्थापित किया है, उतनी ही तेजी से कोरबा लोकसभा क्षेत्रवासियों ने उन्हें स्वीकारा भी है। राजनीति के धुरन्धर भी अब यह मान रहे है कि सुशील विश्वकर्मा को एक सशक्त प्रत्याशी नहीं मानने की भुल नहीं किया जा सकता। यही सशंय दोनों प्रमुख दलों में भी है। कांग्रेस और भाजपा के सशक्त प्रत्याशी है परन्तु वे सुशील विश्वकर्मा के क्षेत्र में बढ़ते प्रभाव से भली-भांति परिचित हैं, इसलिए वे पूरी सजगता के साथ क्षेत्र में लगातार प्रचार में जुट गए हैं। वहीं सुशील विश्वकर्मा भी निरन्तर जनता से रूबरू होकर बीजेएसपी के पक्ष में मतदान करने उन्हें लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं। श्री विश्वकर्मा को जगह-जगह जनता का भारी जनसमर्थन भी मिल रहा जिसे देखते हुए लगता है कि कोरबा लोकसभा क्षेत्र में इस बार बदलाव की बंयार है, जिनमें सुशील विश्वकर्मा का चेहरा विजेता केंडीडेंट के रूप उभरता प्रतीत होता है।